सुरेंद्र किशोर : 1962 के चीनी हमले में नेहरू ने क्या सच छिपाया जो इंडियन एक्सप्रेस” में छपा..!

नेहरू भक्त इन दिनों लिख रहे हैं कि प्रधान मंत्री नेहरू ने
1962 में हुए चीनी हमले को लेकर कोई बात नहीं छिपाई।
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क्या -क्या छिपाया,वह जान लीजिए
1.-हंडरसन -भगत रिपोर्ट नेहरू सरकार ने दबा दी।
2.-नेहरू ने अमरीकी राष्ट्रपति को 1962 में जो त्राहिमाम् संदेश भेजे,उसे भी उनकी सरकार ने दबा दिया।
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हंडरसन -भगत रिपोर्ट का भंडाफोड़ विदेशी पत्रकार नेविल मैक्सवेल ने कर दिया।
नेहरू की ओर से कैनेडी को भेजे गये तीन त्राहिमाम् संदेश को हाल के वर्षों में इंडियन एक्सप्रेस ने छाप दिया।
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थोड़ा विस्तार में जाएं
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सन 1962 के चीन-भारत युद्ध में पराजय के कारणों की जांच का भार भारतीय सेना के दो अफसरों को
सौंपा गया था।
उनके नाम हैं
लेफ्टिनेंट जनरल हंडरसन ब्रूक्स और
ब्रिगेडियर पी.एस..भगत ।
सन् 1963 में ब्रूक्स-भगत रपट आई ।
उसे तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जे.एन.चैधरी ने अपने कवर लेटर के साथ रक्षा मंत्रालय को भेज दिया था।
केंद्र सरकार ने इसे वर्गीकृत यानी गुप्त सामग्री का दर्जा
देकर दबा दिया।
आखिर उसे क्यों दबा दिया गया ?
क्या उस रपट के प्रकाशन से तत्कालीन भारत सरकार और उसके नेतृत्व की छवि को नुकसान होने वाला था ?
क्या यह बात सही है कि उस रपट के अब भी सार्वजनिक हो जाने पर आज के कुछ नेताओं की बोलती बंद हो जाएगी ?
मोदी सरकार को चाहिए कि वह उस रपट को संसद के पटल पर रख दें।
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1962 में प्रधान मंत्री नेहरू ने अमरीकी राष्ट्रपति जाॅन एफ.कैनेडी को त्राहिमाम संदेश भेजे थे।वे संदेश इतना दयनीय और समर्पणकारी थे कि नेहरू के रिश्तेदार बी.के.नेहरू (अमरीका में भारत के राजदूत)कुछ क्षणों के लिए इस द्विविधा में पड़ गये थे कि इस पत्र को व्हाइट हाउस तक पहुंचाया जाए भी या नहीं।
पर, उन्होंने बेमन से पहुंचा दिया।क्योंकि वे नौकरी कर रहे थे।
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जब अमेरिका के समक्ष नेहरू गिड़गिड़ाए !
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चीन के हाथों पराजय से हतप्रभ नेहरू ने मदद के लिए अमेरिका की ओर रुख किया।
नेहरू ने राष्ट्रपति कैनेडी को जो त्राहिमाम संदेश भेजा था,वह इतना दयनीय और समर्पणकारी था।
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कैनेडी के नाम नेहरू की चिट्ठी का एक अंश
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जवाहरलाल नेहरू ने 19 नवंबर 1962 को .कैनेडी को लिखा था कि ‘‘न सिर्फ हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए बल्कि इस देश के ही अस्तित्व की रक्षा के लिए भी चीन से हारता हुआ युद्ध लड़ रहे हैं जिसमें आपकी तत्काल सैन्य मदद की हमें सख्त जरूरत है।’’
दूसरी ओर, अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी से नेहरू की एक पिछली मुलाकात के बारे में खुद कैनेडी ने एक बार कहा था कि ‘‘नेहरू का व्यवहार काफी ठंडा रहा।’’
पंचशील के प्रवत्र्तक नेहरू ने हालांकि खुद को गुट निरपेक्ष घोषित किया,पर उनका मन सोवियत संघ व उसकी कुछ नीतियों में ही बसता था।
याद रहे कि 19 नवंबर 1962 को नेहरू ने भारी तनाव,चिंता और डरावनी स्थिति के बीच कैनेडी को कुछ ही घंटे के बीच दो -दो चिट्ठियां लिख दीं।इन चिट्ठियों को हाल तक गुप्त ही रखा गया था ताकि नेहरू की दयनीयता देश के सामने न आ पाये।
नेहरू भक्त मर्माहत न हों !!
आखिरकार उनकी फोटोकाॅपी ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छप ही गई।

Veerchhattisgarh

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