अमित सिंघल : यूपीए सरकार में निम्न आय वर्ग को लॉलीपॉप ऐसे थमाया जाता था..
आप कैसी सरकार चाहते है – जो निर्धनों को उनके हाल पर छोड़ दे। ना घर, ना नल से जल, बैंक अकाउंट, ना स्वास्थ्य बीमा – कुछ भी ना दे?
वर्ष 2023-24 में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2,08,633 रुपये है। अर्थात यह टाटा-बिड़ला-महिंद्रा-राहुल-प्रियंका-अखिलेश-स्टालिन समेत अन्य भारतीयों की आय का औसत है।
दूसरे शब्दों में, औसतन, एक भारतीय प्रति दिन 575 रुपये या फिर माह में 17400 रुपये कमाता है।
अब इसी आय को समाज के उन 80 करोड़ निर्धनों के सन्दर्भ में निकाल लीजिए जो प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 270 रुपये बैठेगी। यह दर्शाता है कि निम्न आय वर्ग के बीच गंभीर आर्थिक संकट व्याप्त है जो यूपीए सरकार के समय में और भी भयंकर था लेकिन तब लॉलीपॉप पकड़ा दिया जाता था।
रुचिकर यह है कि GDP के प्रतिशत के रूप में सब्सिडी जो 2013-14 में 2.1% थी, वह अब 2023-24 में घटकर 1.3% हो गई।
लेकिन इससे भी रुचिकर यह है कि वर्ष 2023-24 में 80 करोड़ लोगों को फ्री खाद्यान्न कार्यक्रम के बावजूद खाद्य सब्सिडी केवल जीडीपी का 0.7% है जबकि वर्ष 2013-14 में खाद्य सब्सिडी 0.8% थी और वह भी तब जब यूपीए सरकार के समय में कहीं बहुत कम लोगो को राशन मिलता था।
यह कैसे सम्भव हुआ? भ्रष्टाचार एवं लीकेज को कम करके।
फिर क्या आप चाहते है कि सरकार द्वारा MSP में खरीदे जाना वाला अन्न गोदामों में, खुले आसमान के नीचे सड़ा कर शराब कंपनियों के औने-पौने दाम पर बेच दिया जाए। वह अन्न जिसमे सरकारी खरीद की लागत (बाबू की सैलरी एवं लोजिस्टिक्स का 30%) जुड़ने के बाद अंतराष्ट्रीय बाजार से, भारतीय बाजार से कहीं महंगा हो जाता है और उसे किसी अन्य देश में एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता है।
अंत में, निर्धन वर्ग फ्री खाद्य के कारण अपनी अतिरिक्त (surplus) आय को (वह आय जो अन्न खरीदने पर व्यय होती या वह आय जो फ्री का अन्न बेचकर प्राप्त हुई है) अन्य वस्तुओं के उपभोग में लगा देता है जिसके कारण उपभोक्ता वस्तुओ की मांग बढ़ती है, रियल अर्थव्यवस्था में उछाल आता है।
इसके विपरीत मध्यम एवं समृद्ध वर्ग ऐसी सरप्लस आय को बैंक में जमा कर देता है या फिर शेयर मार्किट में पूँजी से पूँजी बनाने के लिए लगा देता है और फिर चिल्लाता है कि इस पूँजी से पूँजी बनाने पर टैक्स मत लगाओ।