राजीव मिश्रा : चेस पर मुकेश.. क्यों विश्वास नहीं होता कि यह एक 18 वर्ष का बच्चा है ?

कल गुकेश और मैग्नस के बीच का मैच देखा यूट्यूब पर. गुकेश लगभग हारते हारते जीत गए, उसमें उनका भाग्य और मैग्नस की गलती के साथ साथ गुकेश के धैर्य और ठंडे दिमाग का बहुत बड़ा रोल है.

गुकेश जीत को जिस शालीनता और विनम्रता से स्वीकारते हैं वह अद्भुत है. जीत कितनी भी बड़ी हो, वे कोई पागलपन भरा सेलिब्रेशन नहीं करते. वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद बोर्ड पर सभी मोहरों को वापस रखना और फिर बोर्ड को प्रणाम करना सबको याद होगा. उनकी गंभीरता देखते हुए विश्वास नहीं होता कि यह एक 18 वर्ष का बच्चा है.

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लेकिन सोशल मीडिया पर इस संदर्भ में बहुत से लेख पढ़ रहा हूँ जो गुकेश के जीत पर गर्वोक्ति के साथ साथ मैग्नस के “घमंड”, “बड़बोलेपन” और “उद्दंडता” को रेखांकित कर रहे हैं. मुझे यह उग्र राष्ट्रवाद की थोड़ी हाइपरबॉलिक अभिव्यक्ति ही लग रही है. चेस एक इमोशनल खेल है, और इसमें व्यक्ति जीतने से अधिक हारने पर प्रतिक्रिया देता है. जीतने वाला जीत कर शांत सौम्य बना रहता है, हारने वाले के लिए खीज और फ्रस्ट्रेशन को रोकना अधिक कठिन हो जाता है, जबकि वह अपनी गलती से हारा हो. इसलिए मैग्नस की प्रतिक्रिया मुझे कोई बहुत अस्वाभाविक या उद्दंड नहीं लगी.

जहां तक मैग्नस के पिछले स्टेटमेंट्स का प्रश्न है, उनमें से कोई भी फैक्चुअली गलत नहीं हैं. पिछले वर्ष वर्ल्ड चैंपियनशिप में गुकेश की लिरेन पर जीत आशानुरूप नहीं थी और उसमें बहुत उच्च स्तर का असाधारण चेस नहीं खेला गया था यह लगभग सभी चेस एक्सपर्ट मानते हैं. गुकेश मैच से पहले बहुत स्ट्रॉन्ग फेवरेट थे और आउट ऑफ फॉर्म लिरेन से वे मुश्किल से, 14वें मैच में जीते. यह जीत आशानुरूप नहीं थी. यही बात अगर मैग्नस ने कह दी तो इसे घमंड और बड़बोलेपन से जोड़ना उचित नहीं लगा. आज भी, कल की हार के बाद भी, मैग्नस विश्व के सर्वश्रेष्ठ और संभवतः इतिहास के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं…यह तथ्य अभी बदला नहीं है. आज भी मैग्नस का कोई मैच हार जाना चेस के किसी भी दूसरे रिजल्ट से बड़ी खबर होती है. यह सारी बातें फैक्चुअली सही हैं.

गुकेश की यह जीत स्पेशल है, और साथ ही वे विश्व चैंपियन तो हैं ही. उनकी दृढ़ता, धैर्य और 18 वर्ष की उम्र में परिपक्वता का मैं क्या, पूरी दुनिया कायल है. मुझे यह बच्चा बहुत ही प्यारा और बहुत ही स्पेशल लगता है. आशा है एक दिन वह अपना नाम मैग्नस, आनंद, कास्परोव, बॉबी फिशर और मिखाईल ताल जैसे नामों के साथ लिखवाने में सफल होगा.

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