“राहुल गांधी की पार्टी और उनके खानदान के कारनामे आजाद हिंदुस्तान के कैलेंडरों में सरेंडर से भरे पड़े हैं” – तीखा वार किया सुधांशु त्रिवेदी ने

राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की तुलना सरेंडर से कीजो उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है।

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राहुल गांधी ने ऐसा बयान दियाजो न तो पाक सेना प्रमुख आतंकी संगठनों मसूद अजहर हाफिज सईद ने दिया। जब वे ‘सरेंडर‘ की बात करते हैंतो सवाल उठता है क्या वो इन दुश्मनों से भी आगे निकलना चाहते हैं?

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एक ओर भारत का संयुक्त संसदीय दलजिसमें कांग्रेस सांसद भी शामिल हैंविश्व मंच पर एकजुट होकर देश का पक्ष रख रहा है। वहीं राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भी गैरज़िम्मेदार और बचकानी बातें कर रहे हैं।

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राहुल गांधी की पार्टी और उनके खानदान के कारनामे आजाद हिंदुस्तान के कैलेंडरों में सरेंडर से भरे पड़े हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत कभी किसी के सामने सरेंडर नहीं करेगा। सरेंडर कांग्रेस ने किया होगामगर भारत किसी के सामने सरेंडर नहीं हो सकता।

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नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः ।

विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥

अर्थात सिंह को न तो अभिषेक की आवश्यकता होती है संस्कार कीउसके भीतर जो सामर्थ्य होती हैवही उसे सिंह बनाती है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत माता के शेर हैंभारत माता के मृगेंद्र हैं।

राहुल गांधी को सरेंडर समझना है तो अपने अतीत में देखेंविदेश जाकर भारत में दखल की मांग करना संप्रभुता का सरेंडर थाआतंकवाद को न रोक पाने की बात वैचारिक सरेंडर, 26/11 के बाद बातचीत जारी रखना कूटनीतिक सरेंडर और 1995 में परमाणु परीक्षण रोकना वैज्ञानिक सरेंडर था।

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नेहरू ने 1962 में अमेरिका से भारतीय वायुसेना को विमान देने ही नहीं बल्कि चलाने और सँभालने की गुहार लगाकर सैन्य सरेंडर किया। 1960 में सिंधु का 80% पानी पाकिस्तान को देकर जल संसाधनों का सरेंडर किया। 1948 में कश्मीर और 1947 में एकतिहाई भूमि मुस्लिम लीग को सौंपकर राजनैतिक सरेंडर किया।

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कहावत है कि नयानया मुल्ला, प्याज ज्यादा खाता हैलेकिन यहां तो जो मुल्ला है भी नहींवो प्याज़ खाने की होड़ में देश के स्वाभिमानसेना के शौर्य और राष्ट्रीय अस्मिता का घोर अपमान कर रहा है। ऐसे में राहुल गांधी जी की बुद्धि और विवेक पर देश कैसे भरोसा करे?

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राहुल गांधी “आदतनफितरतनशरारतन व्याकुलता और कुटिलता के कारण”  प्रधानमंत्रीभारत सरकार और भाजपा के खिलाफ भी बोलें तो बर्दाश्त है, लेकिन यदि वह भारतभारत के स्वाभिमान और भारत की सेना को लेकर झूठ बोलेंगेतो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर सेना का अपमान करने और पाकिस्तान समर्थक भाषा बोलने निशाना साधा। डॉ. त्रिवेदी ने राहुल गाँधी द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तुलना ‘सरेंडर’ से करने को राष्ट्रविरोधी बताया और कांग्रेस के ऐतिहासिक सरेंडर प्रसंगों का हवाला देते हुए राहुल गांधी की राष्ट्रविरोधी मानसिकता की कड़ी आलोचना की। डॉ त्रिवेदी ने कहा कि यदि राहुल गांधी यदि वह भारत, भारत के स्वाभिमान और भारत की सेना को लेकर झूठ बोलेंगे, तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि एक ओर भारत सरकार द्वारा भेजे गए संयुक्त संसदीय दल में शामिल विभिन्न विपक्षी दलों के सांसद, जिनमें कांग्रेस के सांसद भी शामिल हैं, विश्व के विभिन्न देशों में भारत का पक्ष गंभीरता, गरिमा और राष्ट्र की एकजुटता के साथ प्रस्तुत कर सम्मानपूर्वक लौट रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के स्वयंभूस्वयंघोषितसर्वज्ञानी और सर्वकालिक युवा नेता श्री राहुल गांधीजो नेता प्रतिपक्ष के पद पर आसीन हैंअपने वक्तव्यों से न केवल उस पद की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे हैंअपितु यह भी सिद्ध कर रहे हैं कि उनके भीतर न तो गंभीरता है परिपक्वता और न ही राष्ट्रहित का कोई बोध। यह मात्र उनकी अपरिपक्वता का विषय नहीं हैविषय इससे कहीं अधिक गंभीरदुर्भाग्यपूर्ण और राष्ट्रविरोधी है।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि जिस प्रकार सेना के शीर्ष अधिकारियों ने, जिनमें डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स, डायरेक्टर जनरल एयर ऑपरेशन्स एवं डायरेक्टर जनरल नेवल ऑपरेशन्स शामिल थे, ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की अभूतपूर्व सफलता का विस्तृत विवरण देश के समक्ष प्रस्तुत किया। राहुल गाँधी द्वारा उसकी तुलना ‘सरेंडर’ से करना केवल सेना के शौर्य का नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र की अस्मिता का अपमान है। यह मानसिकता दर्शाती है कि राहुल गांधी जी की सोच कितनी विकृत, कितनी रोगग्रस्त और कितनी खतरनाक हो चुकी है। हमें आश्चर्य नहीं, किंतु क्षोभ इस बात पर है कि कांग्रेस के नेता अब केवल पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियाँ ही नहीं बटोर रहे, बल्कि उनके वक्तव्य पाकिस्तानी संसद में कोट किए जा रहे हैं। राहुल गांधी जी का नाम और उनके बयान पाकिस्तान ने पूर्व में अपने अंतरराष्ट्रीय डोज़ियर में भारत के विरुद्ध प्रयुक्त किया है। परंतु पहली बार ऐसा हुआ है कि राहुल गांधी ने वह बात कह दी हैजिसे न तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने कहा किसी आतंकी संगठन ने कहा मौलाना मसूद अजहर नेऔर न ही हाफ़िज़ सईद जैसे कुख्यात आतंकियों ने। इन सबने भारत की सैन्य कार्रवाईयों से क्षुब्ध होकर समय-समय पर पीड़ा तो प्रकट की, परंतु ‘भारत ने सरेंडर किया’ यह असत्य, अपमानजनक और मूर्खतापूर्ण वाक्य इन लोगों में से किसी ने भी नहीं कहा।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ऊपर भारत कि शक्ति का मजाक उड़ाने और उसे कम करके आंकने को लेकर सवाल किया कि क्या राहुल गांधी अब उन आतंकियों और पाकिस्तान की सेना से भी एक कदम आगे निकलना चाहते हैं? अब तक तो राहुल गांधी पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और सेना को ‘कवर फायर’ देते रहे, क्या अब आप उनके ‘सरताज’ बनने का प्रयास कर रहे हैं? एक हिन्दी कहावत है नया मुल्ला प्याज़ ज़्यादा खाता है,” परंतु यहाँ तो मामला यह है कि जो मुल्ला है भी नहींवह प्याज़ खाने की इतनी होड़ में है कि यह भी नहीं समझ पा रहा कि वह भारत के स्वाभिमानसेना के शौर्य और राष्ट्रीय अस्मिता का कितना भीषण अपमान कर रहा है। ऐसे राहुल गांधी जी की बुद्धिउनकी मति और विवेकशीलता पर आखिर देश को किस प्रकार भरोसा करना चाहिए?

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि एक वर्ष पूर्व आज के ही दिन 4 जून को देश में आम चुनावों के परिणाम घोषित हुए थे। इस अवसर पर, जब देश लोकतंत्र की सफलता का उत्सव मना रहा थी, तब यह देखना अत्यंत विचित्र था कि जिस पार्टी ने तीन बार प्रयास करने के बाद भी अपने आंकड़े तीन अंकों तक नहीं पहुँचा पाई, वह स्वयं को विजेता घोषित कर रही थी और पटाखे फोड़ रही थी और दूसरी ओर, जो तीसरी बार देश की जनता के स्पष्ट जनादेश से प्रधानमंत्री बने, उनके विरुद्ध पराजय का नैरेटिव गढ़ा जा रहा था। यह किसी राजनीतिक विश्लेषण की नहीं, बल्कि उस पार्टी की राजनीतिक समझ और विवेकशीलता की परीक्षा है, जो आज दुर्भाग्यवश कांग्रेस के स्वरूप में हमारे सामने है। राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना के पराक्रम को ‘सरेंडर’ कहकर संबोधित करनाकेवल दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि भारतीय सेना और राष्ट्र दोनों का घोर अपमान है। मैं कांग्रेस पार्टी से यह स्पष्ट रूप से पूछना चाहता हूँ कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की घोषणा भारत सरकार ने नहीं की थी, भारतीय जनता पार्टी के किसी प्रवक्ता ने नहीं की थी, बल्कि यह घोषणा भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि यदि राहुल गांधी को यह जानना है कि वास्तव में ‘सरेंडर‘ क्या होता हैतो उन्हें अपने ही अतीत में झाँक कर देखना चाहिए। मात्र दो वर्ष पूर्व विदेश में जाकर उन्होंने यह कहा था ‘लोकतंत्र के रक्षक अमेरिका और यूरोप चुप क्यों हैं और भारत में हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहे हैं?’ यह कथन था भारत की संप्रभुता के प्रति सरेंडर का। 15 जुलाई 2011 को राहुल गांधी ने कहा था ‘आतंकवाद पर पूरी तरह नियंत्रण पाना असंभव है’, यह था आतंक के सामने वैचारिक सरेंडर का। 26/11 के मुंबई हमलों के बाद उनकी सरकार ने शर्मअलशेख में कहा था कि कम्पोजिट डायलॉग प्रभावित नहीं होगा, यह था आतंकी मानसिकता के साथ कूटनीतिक सरेंडर का।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि 1995 में नरसिंह राव सरकार के कार्यकाल में एक फोन आने पर भारत ने अपना परमाणु परीक्षण स्थगित कर दियायह था वैज्ञानिक क्षमता का सरेंडर। 1971 में 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को पकड़ने के बावजूद पीओके का क्षेत्र क्यों सरेंडर कर दिया गया और 54 भारतीय सैनिकों को वापस क्यों नहीं लाया गया, क्या वे भी सरेंडर कर दिए गए? छम्ब सेक्टर का 160 किलोमीटर का इलाका जीतने के बावजूद क्यों छोड़ा गया? पाकिस्तान के पंजाब और सिंध में 13,000 वर्ग किलोमीटर का इलाका जीतने के बावजूद क्यों वापस किया गया? 1965 में हाजी पीर का दर्रा जीतने के बाद उसे क्यों लौटाया गया, जबकि भारतीय सेना लाहौर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर थी? 1962 में तो भारत ने क्या-क्या नहीं सरेंडर किया? 19 नवम्बर 1962 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी को लिखा गया पत्र, जो 2010 में डीक्लासिफाइड हुआ, इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अनुरोध किया था कि अमेरिकी पायलट भारतीय वायुसेना को सँभालें, क्या यह सैन्य सरेंडर नहीं है? 1960 में सिंधु का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दे दिया गयायह था जल संसाधनों का सरेंडर। 1948 में कश्मीर का एक बड़ा भूभाग सरेंडर कर दिया गया और 1947 में मुस्लिम लीग के आगे एक-तिहाई भारत का हिस्सा सरेंडर कर दिया गया।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कांग्रेस नेता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि खुद राहुल गांधी जीउनकी पार्टी और उनके खानदान के कारनामे स्वतंत्र भारत के कैलेंडर को सरेंडर की श्रृंखलाओं से भर चुके हैं। इसके अलावा, जहाँ तक हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रश्न हैआप चाहे जो भी कहेंउनके नेतृत्व में यह राष्ट्र का स्वाभिमान किसी के सामने कभी नहीं झुकेगा। कांग्रेस ने और उनके नेताओं ने सरेंडर किया होगा, परंतु यह भारत वह राष्ट्र है जो हजारों वर्षों की आक्रांताओं की आंधियां झेलते हुए भी अपनी संस्कृति, अपनी चेतना और अपने स्वाभिमान के साथ जीवित है। यह वह राष्ट्र है, जिसे मिटाने की कोशिश हजारों बार की गई, परंतु आज भी अडिग खड़ा है, अपराजेय है, और अपने वैभव के पथ पर अग्रसर है। यह सत्य है, यही भारत का स्वभाव है, और यही कांग्रेस पार्टी को स्वीकार नहीं।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत माता के उस शेर की तरह हैं, जिनके लिए एक संस्कृत का वाक्य है-

 

नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः ।

विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥

 

” अर्थात सिंह को न तो अभिषेक की आवश्यकता होती है संस्कार कीउसके भीतर जो सामर्थ्य होती हैवही उसे सिंह बनाती है। उसी प्रकार हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत माता के शेर हैंअतः हमारे नरेन्द्र भारत माता के मृगेंद्र हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर, आपके खानदान के सरेंडर आज़ाद हिंदुस्तान के कैलेंडर में भरे पड़े हैं। राहुल गांधी जी के व्यवहार के अनुरूप एक पंक्ति सटीक बैठती है कि, “आदतनफितरतनशरारतन व्याकुलता के कारण या कुटिलता के कारण आप प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलिएभारत सरकार के खिलाफ बोलिएभारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बोलिए, हमें बर्दाश्त है। लेकिन यदि आप भारतभारत के स्वाभिमान और भारत की सेना को लेकर झूठ बोलेंगेतो यह कतई बर्दाश्त नहीं है और इस पूरे प्रसंग पर केवल एक पंक्ति पर्याप्त है “वो पैरवी तो झूठ की करता चला गया, बस उसका चेहरा उतरता चला गया।”

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

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