त्योहारी सीजन में एक्शन में केंद्र सरकार

खाद्य सचिव ने भरोसा दिलाया कि इस त्योहारी सीजन के दौरान आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी।

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तमाम वैश्विक संकट के बावजूद केंद्र सरकार मंहगाई को काबू रखने और आम आदमी को राहत देने की कोशिश में लगी है। इस बीच केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि त्योहारी सीजन के दौरान आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कीमतों को स्थिर रखने के लिए हाल ही में कुछ फैसले लिए हैं। खाद्य सचिव ने भरोसा दिलाया कि इस त्योहारी सीजन के दौरान आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी। उन्होंने कहा कि हम त्योहारी सत्र में (खाद्य वस्तुओं की कीमतों में) किसी भी तरह की बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।

खाद्य सचिव ने बताया कि देश के कई भागों में गन्ना की पेराई शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले 2-3 हफ्तों में चीनी का नया भंडार आना शुरू हो जाएगा। चोपड़ा ने कहा कि नए चीनी विपणन वर्ष यानी एक अक्टूबर को चीनी का शुरुआती स्टॉक 57 लाख टन था। ये अभी ढ़ाई महीने का भंडार है। ऐसे में चीनी की मात्रा में कमी होने या दामों में वृद्धि होने की संभावना नहीं लगती है।

अगले आदेश तक चीनी निर्यात पर प्रतिबंध 
भारत सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पूरे वर्ष उचित मूल्य पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अगले आदेश तक चीनी निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा है। सरकार के इस कदम से देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक भी सुनिश्चित होगा और पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के अंतर्गत हरित ईंधन की दिशा में भारत के प्रयासों में निरंतरता बनी रहेगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय चीनी (कच्ची चीनी, सफेद चीनी, परिष्कृत चीनी और जैविक चीनी) के निर्यात पर प्रतिबंध की तिथि 31 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक बढ़ा दी है।

भारत में चीनी विश्व में सबसे सस्ती
सरकार ने इस नीति के साथ 140 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं को चीनी की उपलब्धता में किसी तरह की बाधा न हो। यह महत्त्वपूर्ण है कि भारत में अंतरराष्ट्रीय चीनी का मूल्य 12 वर्ष की ऊंचाई पर होने के बावजूद भारत में चीनी विश्व में सबसे सस्ती है और देश में खुदरा चीनी की कीमतों में केवल मामूली बढ़ोतरी हुई है, जो किसानों के लिए गन्ने के एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप है। खुदरा चीनी की कीमतों में पिछले 10 वर्षों में औसत मुद्रास्फीति लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष रही है।

गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसके बाद 20 जुलाई 2023 को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने पर फोकस
भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 1.78 मिलियन टन गैर-बासमती चावल और 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया था। गैर-बासमती चावल निर्यात में से लगभग 7.8-8 मिलियन टन चावल उबला हुआ था। 25 अगस्त, 2023 से उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया है। यह शुल्क प्रारंभ में 15 अक्टूबर, 2023 तक लगाया गया था, जिसे अब 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। उबले हुए चावल पर शुल्क व्यवस्था का विस्तार करने का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण चावल की कीमतों को नियंत्रित रखना और घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखना है। सरकार द्वारा इस वर्ष अगस्त में किए गए इस उपाय का वांछित प्रभाव दिखता है क्योंकि उबले चावल के मामले में मात्रा के संदर्भ में 65.50 प्रतिशत और मूल्य के संदर्भ में 56.29 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त सीमा शुल्क प्राधिकारियों को कठोर आवश्यक जांच के निर्देश दिए गए हैं ताकि उबले हुए चावल की आड़ में किसी अन्य किस्म के चावल का निर्यात न किया जा सके।

इन देशों को निर्यात की छूट
भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध के बावजूद विशिष्ट देशों को गैर-बासमती सफेद चावल की विशिष्ट मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला किया है। इस चावल निर्यात के पात्र देशों में नेपाल (95,000 मीट्रिक टन), कैमरून (1,90,000 मीट्रिक टन), मलेशिया (1,70,000 मीट्रिक टन), फिलीपींस (2,95,000 मीट्रिक टन), सेशेल्स (800 मीट्रिक टन), कोर डी आइवोर (1,42,000 मीट्रिक टन), और गिनी गणराज्य (1,42,000 मीट्रिक टन), संयुक्त अरब अमीरात (75,000 मीट्रिक टन), भूटान (79,000 मीट्रिक टन) सिंगापुर (50,000 मीट्रिक टन) तथा मॉरीशस (14,000 मीट्रिक टन) शामिल हैं।

-साभार डीडी न्यूज़

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