दिलीप सी मंडल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस गांव के हैं जहां…

नरेंद्र मोदी का गाँव और भारतीय सभ्यता!

जिसे हम प्राचीन भारतीय सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैं, उसका कभी विनाश नहीं हुआ। भारत की सभ्यता एक निरंतरता है।

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इस सभ्यता के आग में जलकर या जल प्रलय या बाहरी आक्रमण या सूखे के कारण विनाश की कहानी वामपंथी गप्प है। हज़ारों मील में फैली समृद्ध सभ्यता ऐसे ख़त्म नहीं होती।

इस सभ्यता का विस्तार पूरे भारत में था। तमिलनाडु में इसी दौर, बल्कि इससे भी पुरानी सभ्यता के पुरातात्विक प्रमाण किलाडी में पाए गए हैं। राखीगढी से लेकर लोथल तक हर जगह इतिहास बोल रहा है। महाबलिपुरम से लेकर अजंता, मथुरा, नालंदा, सारनाथ और कोणार्क की आवाज़ सुनिए।

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ये फ़ालतू बात है कि पक्की ईंट के मकानों में रहने वाले, पक्के गोदामों में अनाज रखने वाले, स्नानागार और विशाल स्तूप बनाने वाले लोग, घास-फूस की झोंपड़ियों में रहने लगे। ये वामपंथी फ़रेब है।

घर बनाना कौन भूलता है? आप भूलेंगे क्या? कुछ लोग हमेशा से पक्के मकानों में और कुछ लोग झोपड़ियों में रहते आए हैं।

बहरहाल,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस गाँव के हैं, जहां भारतीय सभ्यता की तीन हज़ार साल की निरंतरता के प्रमाण पाए गए हैं। आईआईटी, खड़गपुर के वहाँ किए गए अध्ययन का ये निष्कर्ष है।

वडनगर से मिले ऐतिहासिक प्रमाण से दो म्यूज़ियम भर चुके हैं।

ये इतिहास का संयोग है कि भारत के नवनिर्माण और पुराने गौरव को फिर से हासिल करने का दायित्व नरेंद्र मोदी के हाथों में है।

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-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।

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