बसहुं सदा पदधूरि सुखागर पूरवहु प्रभु अभिलास। राम अब एक तुम्हारो आस।।

राम अब एक तुम्हारो आस। कलि खल तमस मोह अंधियारो पद पावक उजियास।। कनक मोह मन कामिनि नैनन्हिं कर जोरत

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