सुरेंद्र किशोर : इमर्जेंसी में हिटलरशाही की पराकाष्ठा !! उच्च न्यायालयों में ताला लगा देने का आदेश संजय गांधी ने दे दिया था जिसे..
इमर्जेंसी में हिटलरशाही की पराकाष्ठा !!
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देश के उच्च न्यायालयों में ताला लगा देने का आदेश संजय
गांधी ने दे दिया था जिसे सिद्धार्थ एस.राय ने रद करवाया।
इमर्जेंसी की घोषणा के बाद संजय गांधी ने सभी हाईकोर्ट में ताला लगवा देने का आदेश दे दिया था।
सिद्धार्थ शंकर राय ने इंदिरा गांधी से विनती करके उस आदेश का रद करवाया।
(याद रहे कि इमर्जेंसी में केंद्र सरकार आम तौर पर संजय गांधी के आदेश से चल रही थी।)
इमर्जंेसी में हुई ज्यादतियों की जांच के लिए मोरारजी देसाई सरकार ने शाह आयोग का गठन किया था।
जस्टिस जे.सी.शाह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे।
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सन 1980 में फिर से सत्ता में आने के बाद इंदिरा गांधी ने शाह आयोग की रपट की सारी प्रतियों को गायब करवा दिया।
अब इस देश में वह कहीं उपलब्ध नहीं है।न सरकार में और न ही सरकार से बाहर।इसी से आप अनुमान लगा लीजिए कि उस रपट में कितनी विस्फोटक बातें होंगी।
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हाल में मोदी सरकार ने बताया कि शाह आयोग की रपट की एक प्रति आस्ट्रेलिया में उपलब्ध है।उसे मंगवाया जाएगा।
पर,मौजूदा सरकार उसकी प्रति अब तक आस्ट्रेलिया से नहीं मंगवा सकी है–पता नहीं क्यों ?
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इस बीच शाह आयोग की रपट का जो संक्षिप्त हिस्सा मेरे पास उपलब्ध है,उसके आधार पर यहां कुछ जानकारियां पेश कर रहा हूं—
25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा के बाद संजय गांधी के ही कहने पर केंद्र सरकार अनेक फैसले कर रही थी।
शाह आयोग की रपट में उसका विवरण आया है।
उस रपट के पेज नं.-21 पर लिखा है,
‘‘….जब श्री रे (सिद्धार्थ शंकर राय)कमरे के दरवाजे से बाहर जा रहे थे तो वे (केंद्रीय गृह राज्य मंत्री )ओम मेहता से यह सुनकर आश्चर्य चकित हो गए कि अगले दिन (यानी 26 जून 1975 को)उच्च न्यायालयों को बन्द करने के आदेश दे दिए गए हैं।
सभी समाचार पत्रों को बिजली सप्लाई बन्द करने के भी आदेश दिए गए हैं।’’
श्री राय इस बात के विरोधी थे।
वे इस फैसले को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से मिलकर रद करवाना चाहते थे।
दरअसल यह फैसला संजय गांधी का था जो किसी पद पर नहीं थे।
इस बीच संजय गांधी ने अत्यंत बदतमीजी और गुस्ताखी से कहा कि आप (यानी श्री राय)नहीं जानते कि देश पर शासन कैसे किया जाता है।
अंततः सिद्धार्थ शंकर राय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से मिले और उन्होंने दोनों आदेशों को रद करवाया।दरअसल आपातकाल लगाने की सलाह श्री राय की ही थी।
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आपातकाल में एक विधेयक तैयार किया गया था।
उसमें इस बात का प्रावधान था कि राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और लोक सभा के स्पीकर के खिलाफ आजीवन कोई मुकदमा दायर नहीं हो सकता।
पर, किसी ने राजनीतिक कार्यपालिका को समझाया कि ऐसा अनर्थ मत कीजिए।उसके बाद वह उस विधेयक पर काम आगे नहीं बढ़ा।
