सुरेंद्र किशोर : सन 1100 में हम 60 करोड़ थे,पर 1947 आते- आते हम 30 करोड़ रह गये..

सन 1100 तक भारत में हिन्दुओं की आबादी 60 करोड़ थी।
आक्रंाताओं के जुल्म के कारण 1947 में 30 करोड़ रह गयी
—- यू.पी.के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ
दैनिक जनसत्ता–24 सितंबर 2025

23 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यशाला में
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह सवाल किया कि आप मुझे बताइए , 800-900 वर्षों में हमारी आबादी बढ़नी चाहिए थी या कम होनी चाहिए थी ?
सन 1100 में हम 60 करोड़ थे,पर 1947 आते- आते हम 30 करोड़ रह गये।
उससे पहले उन्होंने कहा कि 300 वर्ष पहले दुनिया की अर्थ व्यवस्था में (अविभाजित)भारत का योगदान 25 प्रतिशत था।
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योगी बाबा ने जो बात नहीं कही,वह आज की बात है।
आज भी जेहादी तत्व तरह -तरह के उपायों से भारत में आबादी का अनुपात बदलते जा रहे हैं।अब भारत में हिन्दुओं की संख्या 80 प्रतिशत नहीं रही।
हाल में कांग्रेस नेता अधिरंजन चैधरी ने कहा कि अब मुर्शिदाबाद जिले के लोग यह मांग करेंगे कि हमारे जिले को बांग्ला देश में मिला दिया जाना चाहिए।
याद रहे कि घुसपैठ करा कर और आबादी बढ़ाकर मुर्शिदाबाद में मुसलमानों की आबादी अब 70 प्रतिशत हो चुकी है।घुसपैठियों को बढ़ावा पहले वाम मोर्चा सरकार ने दिया,अब तो ममता बनर्जी ने सारी हदें पार कर दी हंै।
पता नहीं राष्ट्रपति शासन लागू किए बिना वहां मतदाता गहन पुनरीक्षण का काम शांतिपूर्वक हो पाएगा या नहीं !
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दुनिया के 57 देशों में अब उनका का शासन है।सामान्यतः
तलवार के बल पर वह कायम हुआ।वहां पहले गैर मुसलमान रहते थे।अब उन गैर मुसलमानों का वहां कोई अता-पता नहीं है।
भारत में भी लंबे समय तक मुसलमानों ने शासन किया।पर वे पूरे भारत पर इस्लामिक शासन कायम नहीं कर सके।
क्यों ?
क्योंकि यहां महाराजा सुहेलदेव (ग्यारहवीं सदी)से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज, ,महाराणा प्रताप आदि ने समय- समय पर उनका डटकर प्रतिरोध किया।इतिहासकारों के अनुसार प्रतिरोध के दौरान करोड़ों हिन्दुओं ने बलिदान दिया।चितौड़ की हजारों महिलाओं ने तीन किस्तों में खुद को सामूहिक रूप से जला दिया।
वैसे में आबादी तो घटेगी ही।
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पर,दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद उन बलिदानियों का इतिहास तोड़ -मरोड़ कर शासकों ने लिखवाया।
स्वतंत्र भारत के इतिहास कारों को शासन की ओर से यह कह दिया गया था कि महाराणा प्रताप और शिवाजी की शौर्य गाथा लिखोगे तो उससे देश में हिन्दुत्व को बल मिलेगा।
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याद रहे कि नेहरू-इंदिरा शासन काल में केंद्र में बारी-बारी से पांच
मुसलमान शिक्षा मंत्री रहे।

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