परख सक्सेना : ऑपरेशन सिंदूर.. ईरान पर संकट न आये इसमें भारत के हित मे

पाकिस्तान ने अमेरिका को अपने बंदरगाह की पेशकश की है, जो लोग बेहतर होते अमेरिका पाकिस्तान संबंधो के लिए पाकिस्तान की प्रशंसा करते नहीं थकते क्या उन्हें अमेरिका की उंगलियों मे उलझे पाकिस्तानी वस्त्र दिखाई देते है?

पाकिस्तान तो बिकाऊ देश है मगर ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशो ने भी अमेरिका से जिस तरह से डील की ऐसा लगा की अच्छा हुआ 50% टेरीफ खा लिए मगर अमेरिका के सामने नाक तो नहीं रगड़ी। 10% से ज्यादा के टेरीफ तो वैसे भी अमीर से अमीर देश भी अफोर्ड नहीं कर पा रहा।

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फाइनेंशियल टाइम्स ने एक लेख लिखा है की पाकिस्तान मे कॉर्पोरेट शरणार्थी बन रहे है। अब तक 9 मल्टीनेशनल कंपनीया पाकिस्तान से स्थायी रूप से बाहर हो चुकी है। मल्टीनेशनल कंपनीया ज़ब जाने लगे तो ध्यान देने वाली बात हो जाती है।

इतनी बड़ी संस्थाओ को भीतर बाहर के प्लान्स की भी पूरी जानकारी होती है, पाकिस्तान अब आर्थिक रूप से क्रैश हो चुका है। वो बात ठीक है कि भारत मे लोग क्रैश का अर्थ भुखमरी से निकलते देखना चाहते है लेकिन राष्ट्र के संदर्भ मे परिभाषा अलग होती है।

निजी आंकलन कहता है कि भारत पाकिस्तान पर आक्रमण करने वाला है, जो भाषा रक्षामंत्री और सेना प्रमुख बोल रहे है वह एक प्रयास है कि लोगो मे युद्ध की भूमिका जम जाए। शायद इतिहास मे पहली बार भारत के किसी रक्षामंत्री ने कराची का सीधे नाम लिया हो।

अमेरिका को भी जब सद्दाम हुसैन को मारना था तो उसने ऐसे ही भूमिका जमाना शुरू की थी जैसे भारत पाकिस्तान के संदर्भ मे कर रहा है।

पाकिस्तान का संघर्ष खुद को जीवित रखने का है, कुछ नया हो नहीं रहा ऐसे मे ये उम्मीद लगाकर बैठे है कि डोनाल्ड ट्रम्प शायद खुश होकर कुछ दान धर्म कर दे। ट्रम्प यदि अति उदारवादी भी हो जाए तो भी कितना दे पाएंगे? ज्यादा से ज्यादा 10 अरब डॉलर? पाकिस्तान को अर्थव्यवस्था बचाने के लिए 50 से 100 अरब डॉलर तो चाहिए।

ट्रम्प बस एक ही मौके पर पाकिस्तान के साथ जाएंगे यदि ईरान से युद्ध हो। ट्रम्प अब तक तो युद्ध विरोधी रहे है, इसलिए भारत के हित मे भी यही है कि ईरान पर कोई संकट ना आये और किसी भी तरह अमेरिका ईरान मे एक डील हो जाये।

लेकिन पाकिस्तान अब यही करेगा उसे अपनी सम्पत्तियाँ इसी तरह गिरवी रखनी पड़ेगी, दूसरा कोई विकल्प है नहीं। जितनी सम्पत्ति दूसरे देशो को गिरवी रहेगी उतना भारत द्वारा पिटाई के समय सहयोग मिलना अपेक्षित हो जायेगा।

भारत हमला करेगा इसकी संभावना के पीछे एक कारण ये भी है कि ऑपरेशन सिंदूर मे ये बात पक्की हो गयी है कि भारत पाकिस्तान का कोई मुकाबला है ही नहीं, ये मुकाबला एक तरफ़ा है। अमेरिका के क्या हित है उसको ध्यान मे रखकर यदि कही गुंजाइश बनती है तो युद्ध किया जा सकता है।

इसका अगला पड़ाव भी यही लग रहा है कि पाकिस्तान अमेरिका को कितना भी मक्ख़न लगाने की कोशिश करें होगा यही कि भारत POK और गुजरात मे खोयी हुई अपनी जमीन वापस ले लेगा और एक अमेरिका परस्त नया देश बलूचिस्तान बनेगा जो अमेरिका के लिए ईरान को काउंटर करने के लिए भी ठीक है।

✍️परख सक्सेना✍️
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