अमित सिंघल : PM मोदी ने तोड़ा पूर्व प्रधानमंत्रियों की इस प्रथा को.. 200 से अधिक बंदी…

आप क्या चाहते है? मोदी जी किसी राष्ट्राध्यक्ष को, जिससे वह पूर्व में मिल चुके है, मित्र ना बोले? राष्ट्रपति ओबामा को भी मित्र बैरक कहकर बुलाया था।

पश्चिमी गोलार्ध के अधिकतर राष्ट्र प्रमुख एक-दूसरे को प्रथम नाम से सम्बोधित करते है, मित्र कहते है।

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मोदी जी के पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अन्य राष्ट्र प्रमुखों को प्रथम नाम से नहीं बुलाते थे। मोदी जी ने इस प्रथा को तोड़ा है, भारत को इन राष्ट्रों के समकक्ष स्थापित किया है।

फिर, भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए विश्व के प्रमुख नेताओ से व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाना आवश्यक है। बहुत से कार्य नेताओ के मध्य केवल एक फोन काल से हो जाते है।

उदाहरण के लिए, कतार से रिटायर्ड नौसैनिक अधिकारियो को मृत्यदंड मिलने के बाद वापस लाना। या फिर उक्रैन, यमन, इराक, सीरिया इत्यादि युद्ध जैसी स्थितियों के बीच में से लाखो भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आना।

अगर आपका तर्क मान ले, तो क्या यह कहा जा सकता है कि अगर नमस्ते ट्रम्प और हाऊ डी मोदी कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाता, तो आज भारत पर टैरिफ नहीं लगता। या फिर शी जिनपिंग को अहमदाबाद में झूले में नहीं झुलाया जाता, तो गलवान नहीं होता?

अभी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत लाया गया है। क्या यह नेताओ के मध्य बिना व्यक्तिगत सम्बन्धो के संभव था?

कुछ आंतरिक जानकारी के आधार पर लिख रहा हूँ कि पूर्व की सरकार ने सोमाली समुद्री डाकुओ द्वारा बंदी बनाये गए 200 से अधिक भारतीयों को छुड़वाने में असमर्थता व्यक्त की थी। उनके पास एक फोन नंबर ऐसा नहीं था जिससे वे मदद मांग सके।

कुछ ऐसा हुआ है जिसके कारण एकाएक भारत पर टैरिफ लगाया जा रहा है। लेकिन इसके लिए व्यक्तिगत सम्बन्धो को दोष क्यों दे रहे है?

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