अनुपम कुमार सिंह : आचार्य बालकृष्ण विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में..

आचार्य बालकृष्ण को कैलिफोर्निया स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और जर्नल्स प्रकाशित करने वाली कंपनी एल्सेवियर ने विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में जगह दी है!

भारतीय योग व आयुर्वेद की ज्ञान-परंपरा का मजाक बनाने वालों को ये पसंद नहीं आएगा कि दुनिया अब पुरातन भारत की धरती पर जन्मी वैज्ञानिक व्यवस्थाओं का लोहा मान रही है। जो लोग आचार्य बालकृष्ण को सिर्फ़ इसीलिए साधारण समझते हैं क्योंकि वो एक साधु हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में इस व्यक्ति के 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।

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वैसे आयुर्वेद का महत्व तो कोरोना विश्वमारी के दौरान हमें समझ आ ही गया था। जिस देश में किसी मेहमान के घर आने पर बाहर हाथ-पाँव धोकर घर में घुसने की परंपरा थी, वहाँ मेडिकल परामर्श में सिखाया जा रहा था कि हैंडवॉश कैसे करना चाहिए। कारण – हमने अपनी ही परंपराओं को तुच्छ समझकर उनका ह्रास होने दिया। जिस देश ने हाथ जोड़कर नमस्ते करना दुनिया को सिखाया, वहाँ के लोगों को सिखाया जा रहा था कि किसी से मिलने पर उसे छूना नहीं है।

आचार्य बालकृष्ण न केवल प्राचीन आयुर्वेदिक पांडुलिपियों को सहेजकर उनका संरक्षण कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने आयुर्वेद-योग पर 120 पुस्तकें भी लिखी हैं। आचार्य बालकृष्ण विलुप्त होते कई आयुर्वेदिक पौधों की प्रजातियों को भी बचा रहे हैं।

‘वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया’ के जरिए उन्होंने साठ हज़ार से भी अधिक आयुर्वेदिक पौधों की प्रजातियों के विवरण व उनसे होने वाले लाभ को संकलित किया है। किसी व्यक्ति से इससे अधिक क्या चाहते हैं आप? आप उसपर गौरव करें, इसके लिए वो और क्या करे?

साभार – अनुपम कुमार सिंह

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