अमित सिंघल : तेल.. भारत में दाम स्थिर क्यों ? याद करें पिछली बार कब वृद्धि रात 9 बजे अनाउंस की गयी..!!
ऐसा इम्प्रैशन दिया जा रहा है कि रिलायंस एवं अन्य भारतीय कंपनियों के तेलशोधक संयंत्र केवल रूसी कच्चे तेल का शोधन करके लाभ कमा रहे है।
अतः, मैंने स्वयं से प्रश्न पूछा कि रूस-उक्रैन विवाद के पूर्व क्या रिलायंस का तेलशोधक संयंत्र मक्खी मार रहा था।
इंटरनेट – एवं स्वयं रिलायंस – बतला रहा है कि वर्ष 2001 से विश्व का सबसे विशाल जामनगर संयंत्र लगातार 1.4 million (14 लाख) बैरल कच्चे तेल का शोधन प्रति दिन कर रहा है।
और उस शोधित तेल को भारत के बाजार में उतार रहा है, अन्य देशो को एक्सपोर्ट कर रहा है। यहाँ तक कि एक समय ईरान को उसी का कच्चा तेल शुद्ध करके एक्सपोर्ट कर दिया जाता था (अब प्रतिबंध लगा है)।
दूसरे शब्दों में, कच्चा तेल कहीं से भी आए, जामनगर संयंत्र पूरी क्षमता से कार्य कर रहा है।
एक समय भारतीय रिफाइनरी किसी एक ग्रेड का तेल शोधित कर सकती थी। अगर ईरान के तेल के लिए बनी है तो उसमे सऊदी तेल शोधित नहीं हो सकता था।
लेकिन अब जामनगर पर यह बंदिश नहीं है। अर्थात, किसी भी देश का कैसा भी कच्चा तेल हो, जामनगर उसे प्रोसेस कर सकती है।
अगर रूस, ईरान एवं वेनेज़ुएला से रिलायंस के पास कच्चा तेल नहीं आएगा, तो किसी अन्य देश से आएगा।
बस होगा यह कि उस तेल का भाव भारतीय उपभोक्ता के लिए बढ़ जायेगा।
और रिलायंस का लाभ वहीं का वहीं रहेगा।
ऐसा तो होगा नहीं कि 60 डॉलर के बैरल से तो लाभ मिलेगा, लेकिन 80 या 100 डॉलर वाले बैरल से लाभ कम हो जाएगा।
एक प्रश्न स्वयं से भी पूछिए। पिछली बार कब पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि रात 9 बजे अनाउंस की गयी थी और आप मध्य रात्रि पूर्व बाइक-स्कूटर-कार ले गए थे टंकी फुल करवाने के लिए?
आखिरकार भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में रूस-उक्रैन विवाद, हमास युद्ध, इजराइल-ईरान युद्ध, ईरान-वेनेज़ुएला से तेल आयत पर सैंक्शन के बाद भी स्थिरता कैसे व्याप्त है?
