सुरेंद्र किशोर : पद्मश्री मिला हो तो उसे अपने नाम के साथ मत जोड़िए
तेलुगु फिल्मी हस्तियों के प्रकरण सामने आने
के बावजूद देश में अनेक लोग अपने नाम के आगे या पीछे
पद्मश्री शब्द जोड़ रहे हैं।
ऐसा करना नियम विरूद्ध है।

याद रहे कि 2013 में तेलुगु फिल्मों की हस्तियों मोहनबाबू और ब्रह्मानंदम का मामला आंध्र हाईकोर्ट में गया था।
उन पर आरोप था कि वे पद्मश्री शब्द अपने नामों के साथ जोड़ते हैं।
23 दिसंबर, 2013 को हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय को निदेश दिया कि वह इनके पद्म पुरस्कार को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करे।
इन हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट से कहा कि नियम की जानकारी के अभाव में हम
ऐसा कर रहे थे।
अब अपने नाम के साथ पद्मश्री नहीं जोड़ेंगे।
हमने हाईकोर्ट से भी कह दिया है कि हमें मालूम नहीं था।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित कर दिया।
इस अप्रिय प्रकरण के बावजूद आज देश के अनेक महानुभाव अपने नाम के आगे या पीछे पद्मश्री जोड़ लेते हैं।
कुछ सज्जन तो अपने मकान के नेम प्लेट में भी ऐसा ही लिखवा लेते हैं।
अखबारों में उनके बयान और लेख भी कई बार पद्मश्री सहित उनके नाम के साथ छपते हैं।
पद्म पुरस्कार से संबंधित नियम के अनुसार यह अवार्ड
कोई टाइटिल नहीं है।
इसलिए इसे अपने नाम के आगे या पीछे नहीं लगा सकते।
लेटरहेड, निमंत्रण पत्र, पोस्टर, किताब आदि में इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते।
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पर सवाल है कि जब तक आप इस देश के दो -चार नियम भंग नहीं करेंगे ,तब तक आप बड़ा व प्रभावशाली व्यक्ति कैसे कहलाएंगे ?!!!!
