परख सक्सेना : इनफार्मेशन वॉर से निपटने का तरीका पहले समाचार लेखक का नाम पढ़ें, ईरान का भारत को धन्यवाद..!!
ईरान ने भारत को धन्यवाद कहा है बस यही होता है इनफार्मेशन वॉर जो हम भारतीयों को बहुत ज्यादा सीखने की जरूरत है।
महाभारत युद्ध में कृष्ण ने अफवाह फैलाई थी की अश्वत्थामा मारा गया ये सुनकर कौरव पक्ष के सेनापति शोक में आ गए, द्रोणाचार्य जैसे महाज्ञानी जिनसे सलाह लेने उस समय के बड़े बड़े विद्वान् आते थे वे तक ये भूल गए की उनकी निष्ठा हस्तिनापुर के सिंहासन के प्रति है।
इनफार्मेशन वॉर में यही होता है शत्रु को ऐसे तोडा जाता है कि वो शक्तिशाली होकर भी अपनी शक्तिया भूल जाए। ईरान इजरायल के साथ यही कर रहा है, इजरायल के लोग जब सुनेंगे की ईरान भारत को धन्यवाद बोल रहा है तो निश्चित ही वे अपनी सरकार की विदेश नीति पर प्रश्न उठाएंगे।
इस इनफार्मेशन वॉर में हमारा हाथ इतना तंग है कि पिद्दी से पिद्दी देश भी हमे आँख दिखा सकता है और हमारा बड़े से बड़ा ज्ञानी उनके आगे झुक जाएगा। इसका कारण भी है कि वैश्विक राजनीति में हम समझ और नासमझ के बीच झूल रहे है।
पाकिस्तानी नासमझ है इसलिए उन्हें पता है कि उन्हें क्या बकवास करनी है, भारतीयों की स्थिति दयनीय है। जब बांग्लादेश में राजनीतिक संकट आया तो वहाँ भारत विरोधी धड़ा काबिज हुआ, लोगो ने इसे भी विदेश नीति का फेलर बता दिया।
फेल होना ये वो हथोड़ा है जो बड़ी से बड़ी हिम्मत तोड़ डालता है। मालदीव में जब मुइज्जु सत्ता में आया तो उसकी पार्टी के नेता मोदीजी के बारे में क्या राय रखते है वो तक लेकर मोदी विरोधी षड्यंत्र चलाये गए और 100 में से 90 हिंदूवादीयो ने सिर झुका दिए।
आप खुद से तो सोचो भारत का कद क्या है? एक पाकिस्तानी या बांग्लादेशी कुछ भी पोस्ट करना शुरू कर दे आप बिना जांच पड़ताल किये पोस्ट करना शुरू कर देते हो। न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अख़बार में जब खबर छपती है तो नीचे उस लेखक का नाम होता है आप उस पर क्लिक करो तो पता चलता है कि लेखक पाकिस्तानी मूल का है।
लेकिन वो सब हम देखते ही नहीं हम हेडलाइन पड़ते है और स्क्रीनशॉट लेकर सरकार से सवाल पूछने शुरू कर देते है। वो तो शुक्र है राहुल गाँधी ने सरेंडर शब्द का प्रयोग किया, वो राहुल गाँधी जिसकी क्रेडिबिलिटी इतनी खराब है कि उसके बोलने के बाद ही ये क्लियर हुआ की कम से कम सरेंडर तो नहीं किया।
मैं उस कल्पना से काँप जाता हु यदि ये शब्द डोनाल्ड ट्रम्प या फिर किसी अमेरिकी सीनेटर के मुंह से निकल जाता तो 140 करोड़ लोग मोबाइल पकडे बस एक दूसरे के कंधे तोड़ रहे होते। सोशल मिडिया पर ऐसी गंध फैलती की जीती हुई बाजी हम वही हार जाते।
इनफार्मेशन वॉर से निपटने का एक ही तरीका है कि सोशल मिडिया पर जो देखे उसकी पड़ताल करे फिर चाहे शेयर करने वाला आपका कितना ही ख़ास हो। पहले गूगल पर खबर ढूंढिए फिर उस खबर का लेखक देखिये और उसकी क्रेडिबिलिटी देखिए।
शेयर करने से पहले विचार कीजिये कि शेयर करेंगे तो लोगो के अवचेतन मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। ये सब होगा तब हम कह सकेंगे कि हाँ इनफार्मेशन वॉर से बचना तो सीख ही लिया है। खुद से करना सीखना है तो इजरायल और ईरान से अच्छा शिक्षक कोई नहीं है।
✍️परख सक्सेना
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