अमित सिंघल : मुन्ना भाई को अनिच्छा के साथ डॉन की आलोचना करनी पड़ गयी है…
भारतीय पुलिस से बुरी तरह पिटने के बाद मुन्ना भाई ने अपने सीने पर स्वयं पांच तमगा लगा लिया। जिससे अन्य लोगो को को पता ना चले कि मुन्ना भाई पिट गए है और उन्हें मुन्ना भाई की बहादुरी का आभास हो।
पांच तमगा लगाकर डॉन भाई से मिलने गए। डॉन ने भोजन की व्यवस्था की, कुछ मिनट बैठे, फिर चले गए। मुन्ना भाई ने बाकी का भोजन सर्किट एवं सर्किट-ब्रेकर्स के साथ किया।
डॉन का आदेश था कि इस मीटिंग की कोई फोटो बाहर ना जाने पाए। कारण यह था कि डॉन को एक टुच्चे गुंडे से मिलने में अपनी प्रतिष्ठा की चिंता थी।
लेकिन डॉन को मिलना था। क्योकि डॉन के लिए मुन्ना भाई एक useful idiot या उपयोगी मूर्ख था। एक ऐसा व्यक्ति जिसे सब मूर्ख मानते है, लेकिन मूर्ख व्यक्ति भी कुछ कार्यो के लिए उपयुक्त रहता है।
डॉन को एक अन्य शातिर गिरोह के बड़के हथियार को नष्ट करना था। और मुन्ना भाई के पास उस शातिर गिरोह के हथियारों के बारे में जानकारी थी। उन हथियारों की डिज़ाइन मुन्ना का तमंचा बनाने वाले ने ही दी थी। फिर डॉन ने अपने कुछ घातक हथियार मुन्ना के अड्डे पर छुपाकर रखे थे। अगर आवश्यकता पड़ी, तो उन हथियारों का प्रयोग करना पड़ सकता है।
डॉन ने मीटिंग के बाद कहा कि मुन्ना भाई बहुत शातिर दिमाग के है तथा उनसे मिलकर डॉन सम्मानित फील कर रहे थे। फिर कहा कि शातिर गिरोह के हथियारों के बारे में निर्णय लेने में दो सप्ताह लग सकते है।
मुन्ना भाई ने भी यह जानकारी तथा कुछ अन्य गोपनीय बाते अगले को प्रेषित कर दी।
प्रसन्नचित्त मुन्ना भाई ने डॉन को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए भी नामित कर दिया। आखिरकार डॉन की वर्षो की चाहत थी कि उसे फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड मिल जाए।
इधर मुन्ना भाई वापस लौटे, उधर डॉन ने शातिर गिरोह के बड़के हथियार को नष्ट कर दिया।
अब मुन्ना भाई की हालत पतली। आखिरकार गिरोहों के मध्य भी एक अलिखित समझौता या honour code होता। इलाका बटा होता है। कोई गिरोह दूसरे के बारे में सूचना लीक नहीं करेगा।
फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए भी नामित करने के बाद मुन्ना भाई को अनिच्छा के साथ डॉन की आलोचना करनी पड़ गयी है।
मुन्ना भी समझ गया कि डॉन के समक्ष उसका रोल एक useful idiot से अधिक नहीं था।
उधर डॉन दुखी है कि इस वर्ष का फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड उसे नहीं मिलेगा। मुन्ना भाई को भारतीय पुलिस की मार से बचाने की उत्कृष्ट नौटंकी के बाद भी।
पटकथा में आए इस ट्विस्ट से फारफा फयूब फवीश फुबैर (एक ही व्यक्ति का नाम है) का कष्ट कम नहीं हो रहा है।
लिखना आवश्यक नहीं है फिर भी स्पष्ट कर दूँ कि उपरोक्त केवल एक कहानी है। किसी भी सत्य घटना, जीवित-मृत व्यक्तियों एवं किसी स्थल से इसका कोई संबन्ध नहीं है।
