सुरेंद्र किशोर : शादी 21 वर्ष में…नौकरी करती लड़कियों के साथ ससुराल में प्रताड़नाएं कम

अधिक उम्र में शादी यानी इस बीच 

    नौकरी मिल जाने की अधिक गुंजाइश

     (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

‘‘ बढ़ी हुई शादी की उम्र एक बालिका को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने,कौशल प्राप्त करने और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय की गारंटी देगी।

लड़कियां आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी तो माता-पिता को उनकी जल्दी शादी करने की चिंता नहीं सताएगी।

देर से शादी का मतलब देर से मातृत्व और देर से शादी का मतलब लड़की के लिए अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अधिक समय का मिलना।

इससे सही मायने में महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित होगा।’’

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—डा.फैयाज अहमद फैजी

दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’

23 दिसंबर 21

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आर्थिक रूप से स्वावलंबी लड़कियों को ससुराल में प्रताड़ित किए जाने की आशका कम हो जाएगी।

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दहेज के लिए नर पिशाच बने लोगों की कुदृष्टि नौकरी करती  बहुओं पर अपेक्षाकृत कम पड़ेगी।

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हम आज के इस ‘अर्थ युग’ में अनेक बेसहारा बहुओं को उनकी ससुराल में अपार प्रताड़ना पाने की खबरें सुनते-पढ़ते रहते हैं।

ऐसी खबरें पढ़कर अनेक लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।

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बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए अनेक नौकरियों में काफी सीटें आरक्षित कर रखी हैं।

ऐसे में 18 से 21 उम्र सीमा होने पर नौकरियों की संभावनाए बढ़ जाती हैं।

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अपवादों को छोड़ कर अधिकतर सास से यह उम्मीद लगाना बेमलब  है कि वे जिस तरह का व्यवहार अपनी बेटी के साथ करती  हैं, वैसा ही व्यवहार अपनी पतोहू के साथ भी करें।

 

 

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