परख सक्सेना : ईरान.. रजाई में दुम दबाकर बैठे चीन को सुपर पावर बनना है..?
#अमेरिका ने #ईरान पर जो बमबारी की है आग्रह है कि हर भारतीय इस न्यूज को देखे। एक एक क्षण हमें प्रभावित करता है।
अमेरिका ने फिलहाल गिनी चुनी जगह बम गिराये है मगर प्रश्न ईरान की संप्रभुता का है। ईरान ने अगर इसका जवाब नहीं दिया तो अब ये इस्लामिक जगत को मुँह नहीं दिखा सकेंगे।
यदि ईरान ने जवाब दिया तो ये तय मानिये की सुप्रीम लीडर खुमेनी की मौत पक्की है। अमेरिका इराक वाला ही हाल ईरान का करेगा।
इस हमले को आप इसलिए भी समझिये क्योंकि हम भारतीयों ने रूस और चीन को बहुत ओवर रेट कर रखा है। रूस समझ आता है कि वो युद्ध मे उलझा है मगर चीन कहाँ है? चीन कब ईरान की मदद करेगा?
मदद छोड़िये क्या चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बार भी ये कहा कि हम ईरान की यथासंभव मदद करेंगे? चीन रजाई मे दुम दबाकर बैठा है और इन्हे सुपरपॉवर बनना है।
अमेरिका ने जो B2 बम गिराये है वो एक मोहर है कि सुपरपॉवर अमेरिका ही है। कही से कोई डिटेक्ट नहीं कर पाया, अमेरिकी वायुसेना उन्हें लेकर उड़ी और इतना लम्बा सफर करके ईरान पर गिरा दिया। रूस चीन की तकनीक धरी रह गयी।
एक B2 बम सवा दो अरब डॉलर का है, इसे ऐसे समझ लीजिये कि अमेरिका भारत को जो F35 विमान देना चाहता है उसकी क़ीमत भी 900 मिलियन डॉलर है।
इसलिए अमेरिका से डरना नहीं मगर सतर्क रहना सीखिए, भविष्य मे भारत अमेरिका का आमने सामने आना निश्चित है। निश्चिन्त रहिये दोनों एक दूसरे पर एक गोली भी नहीं चलाएंगे क्योंकि दोनों लोकतंत्र है। लेकिन वर्चस्व का युद्ध होगा।
अमेरिका वर्तमान मे कहाँ खड़ा है ये हमें B2 बम बहुत अच्छे से बता रहा है। अमेरिका पाकिस्तान से जितने मर्जी अच्छे संबंध बना ले, हमें अमेरिका की तकनीक हर हाल मे चाहिए। ये बात सही है हम बंध जाएंगे लेकिन ये आवश्यकता है।
अमेरिका पाकिस्तान की दोस्ती से नर्वस होने का कोई कारण नहीं है, भारत से अमेरिका की दोस्ती बराबरी की है जबकि पाकिस्तान ने अपनी नैतिकता और गरिमा बेचकर अवैध संबंध बनाये है। पाकिस्तान कभी भारत को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता।
ईरान इजरायल पर बम गिरा रहा है, लेकिन ये भी गलती ही सिद्ध होंगी क्योंकि अतीत मे ऐसा सद्दाम हुसैन भी कर चुका है। बस एक बम किसी अमेरिकी फेसिलिटी को हिट करेगा और अमेरिका ईरान मे लोकतंत्र के विकल्प तलाशने शुरू कर देगा।
वही लोकतंत्र जो लीबिया, इराक और सीरिया मे स्थापित कर चुका है। ईरान ख़ासकर खुमेनी के लिये दोनों तरफ मरण है, कायर कहलाने से बेहतर है कि शहीद की भूमिका मे आया जाए। कदाचित ईरान यही सोच रहा है।
भारत को कुछ नहीं करना चाहिए बस युद्ध रोकने की अपील करनी चाहिए क्योंकि ये कोशिश असफल ही होंगी बस एक नाम हो जाएगा, इस लाइन के जरा भी लेफ्ट राइट हुए तो पक्षपाती हो जाएंगे।
इस बार कमेंट सेक्शन सभी के लिये खुला है प्रयास करें कि एक निष्पक्ष अप्रोच बता सके, बिना प्रो इजरायल या प्रो ईरान हुए।
✍️परख सक्सेना
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