कौशल सिखौला : इसलिए बजट से कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर गया…

आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बिहार और आंध्र प्रदेश को भारी भरकम अतिरिक्त बजट क्यों मिला । सरकार जब सहारे पर टिकी हो तो ऐसा होता है , होना भी चाहिए । ममता तो खैर नहीं बोली लेकिन स्टालिन ने कह दिया कि डीएमके कल बजट के खिलाफ प्रदर्शन करेगी । नकारात्मक राजनीति पर उतारू इंडी गठबंधन भी प्रदर्शन का फैसला कर चुका है।

नाराजगी इतनी है कि विपक्ष ने नीति आयोग की बैठकों में भी भाग न लेने की घोषणा की है । यह जाने बगैर की है कि इसका नुकसान विपक्ष शासित राज्यों को ही उठाना पड़ेगा l कमाल की बात यह है कि विपक्ष की जलन बिहार और आंध्रा को पैकेज देने पर है । जबकि इन राज्यों के विपक्षी दल खुद भी पैकेज की मांग करते आए हैं । अब हजारों करोड़ मिला तो कैसा विरोध ? केंद्र के बजट से सभी राज्यों को उनका नियमित बजट सदा मिलता ही है । जाहिर है स्टालिन और ममता यदि एनडीए में होते तो अतिरिक्त धन उन्हें भी मिलता।

कोई भी सत्तारूढ़ पार्टी देश के किसी राज्य से भेदभाव नहीं कर सकती । लेकिन अपने गठबंधन वाले राज्यों की अतिरिक्त मदद न करे यह कौन से संविधान में लिखा है ? यूपीए के जमाने में कांग्रेस भी अपने सहयोगी दलों की मदद करती आई है । साथ देने की कीमत वामपंथी पार्टियां कैसे चुकाती थी , भूल गई क्या कांग्रेस ? उद्धव की सरकार का महाराष्ट्र में कितना लाभ उठाया था नाना पटोले और शरद पवार ने , कोई उद्धव के दिल से पूछे । करुणानिधि बड़े मोटे पैकेज लेते रहे हैं कांग्रेस सरकार से । अब नई राजधानी बनाने लिए आंध्र प्रदेश को धन दिया तो बुरा मान गए ?

यह बात एकदम सच है कि पहले सीएम और अब पीएम के रूप में मोदी के 24 साल कांग्रेस को रुलाते आए हैं । खास तौर पर कांग्रेस से जब से दिल्ली की सरकार छिनी तब से उसे लग रहा है मानों मोदी ने उसकी खानदानी सल्तनत छीन ली , उसे सिंहासन से उखाड़ फेंका । 10 सालों से कांग्रेस की नींद उड़ी है । संयोग देखिए कि दिन रात की हाहाकार और खटाखट जैसे फर्जी नारों के बावजूद कांग्रेस 99 के फेर में उलझ गई और मोदी तीसरी बार पीएम बनने का अवसर प्राप्त हो गया।

तो एक ही रास्ता बचा और उसी पर चल रहा विपक्ष । कोई भी विषय हो सरकार को नीचा दिखाना है । सदन चलने नहीं देना और अब तो इतनी गिरावट कि प्रधानमंत्री को बोलने तक न देना । पता नहीं इतना प्रदर्शन करने से साबित क्या होगा । दरअसल कांग्रेस जानती थी कि दोनों राज्य आर्थिक पैकेज मांग रहे हैं और कांग्रेस के जमाने में बनाए गए नियमों के अनुसार दोनों राज्यों को पैकेज कभी भी दिया नहीं जा सकता।

विपक्ष की पैकेज न मिलने पर बिहार और आंध्र इंडी अलायन्स के साथ आ जाएंगे और राहुल पीएम बन जाएंगे । परंतु बजट ने कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर दिया । एनडीए और मजबूत हो गया । जाहिर है अब खीज + नफ़रत + कुढ़न एक मंच पर आ बैठे हैं । तो नया क्या है , संसद के भीतर हो या बाहर , आपे ही पीटे जाएंगे । विपक्षी राजनीति का यही तकाजा है । तो आज से फिर तैयार हो जाइए संसद में हंगामा देखने के लिए । देश की जनता इसकी अभ्यस्त हो चुकी है । विरोध के अधिकार का रूप कितना घिनौना हो चुका है बताने की जरूरत नहीं है।

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