कौशल सिखौला : क्या सनातन हिंदू धर्म का सर्वनाश जरूरी है ?
हिन्दू धर्म वालों को मुस्लिमों पर तौहमत लगाने की जरूरत नहीं , हिंदुओं को मिटाने का प्रयास करने को हिंदू ही काफी हैं । जहां तक सनातन धर्म का सवाल है , वह तो प्रकृति है , उसे मिटाने की सामर्थ्य किसी मनुष्य में हैं ही नहीं।
दुख की बात यह है कि सनातन को मिटाने की मांग उसी दक्षिण से शुरू हुई , जहां संसार के सबसे बड़े सनातन मंदिर मौजूद हैं । पद्मनाभम , तिरुपति बालाजी , मीनाक्षी , रामेश्वरम आदि हजारों मंदिर सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर हैं।
वास्तव में सनातन धर्म का मूल स्वरूप , वेदों का गायन , वैदिक ऋचाओं के सश्वर पाठ और सामवेदी सुरों का संगीत यदि कहीं बचा है , शास्त्रीय नृत्य और गायन की प्राचीन परंपराएं यदि कहीं शेष हैं तो दक्षिण के पांच राज्यों को ही इसका श्रेय जाता है।
सनातन पर हमला साधारण बात नहीं । यह बेहद गंभीर विषय है और सच कहें तो राष्ट्र की आत्मा पर प्रहार है । ऐसे बेहूदे बयान यदि राजनैतिक फायदे के लिए दिए जा रहे हैं तो उनके राजनैतिक नुकसान का भी जायजा साथ साथ लगा लीजिए।
दक्षिण के पांचों राज्य ऐसे राज्य हैं जहां भारतीय संस्कृति परवान चढ़ी । इसका कारण यह भी रहा चूंकि मुगल तथा विदेशी आक्रांता उत्तर भारत के रास्ते देश में आए और आक्रमणों के लिए दक्षिण नहीं पहुंच पाए । उत्तर भारत के मंदिर , सभ्यता , संपदा और संस्कृति का दोहन जिस तरह उत्तर मध्य भारत में हुआ वह दक्षिण में नहीं हुआ।
वास्तव में केरल , तमिलनाडु , कर्नाटक और आंध्र प्रदेश मुस्लिम आक्रांताओं की लूट , दोहन , शोषण आदि से मुक्त रहे । परिणाम स्वरूप इन पांचों राज्यों में भारत का मूल सांस्कृतिक स्वरूप आज भी विद्यमान है । हर सवेरे जब आप दक्षिण भारत के प्रत्येक द्वार पर सुंदर रंगोली बनी देखते हैं , मंदिरों में भारी भीड़ दिन भर देखते हैं और हर शाम दक्षिणी स्त्रियों को बालों में गुंथी वेणी के साथ देखते हैं , भस्म लगाए पुरुषों से मिलते हैं , तो सनातन की सांस्कृतिक अनुभूति एक साथ हो जाती है।
भारतवर्ष अनेक रियासतों और रजवाड़ों में बंटा हुआ था । उसे एक राष्ट्र बनाने का काम सनातन धर्म ने किया , मंदिरों ने किया है । यात्राओं ने हमें एक रक्खा है । आज जब भी आप रामेश्वरम , कांचीपुरम , मैसूर , त्रिचि , तिरुमला , वेल्लूर , विष्णुपुरम , महाबलीपुरम आदि जाते हैं तो सनातन धर्म के वैभव से अभिभूत हो जाते हैं।
यह ठीक है कि दक्षिण बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन का शिकार हुआ । इस्लामिक और ईसाई मिशनरियों ने यहां खूब काम किया , गरीबी को धर्मांतरण से भुनाया । परिणाम सामने है । इस पावन भूमि से यदि सनातन धर्म के खिलाफ आवाज उठती है तो यह दुःख का विषय है । पर याद रखें , सनातन सत्य है , प्रकृति से उपजा है । यह अमिट है , आदि और अनंत है । सनातन सदा रहेगा , इसे मिटाने वाले खुद ही मिट जाएंगे।