राजीव मिश्रा : बजट.. सरकार मत बदलिए, फिलोसॉफी बदलिए…

बढ़े हुए टैक्स के विरुद्ध पब्लिक का आउट्रेज जायज है, आवश्यक है.. लेकिन उसके पीछे के आर्गुमेंट गलत दिशा में जा रहे हैं.

आप टैक्सेशन का विरोध कर रहे हैं तो अपने कुछ तर्क दुरुस्त कर लें…
सरकार टैक्स क्यों लेती है?
– सरकार सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए टैक्स लेती है. एडमिनिस्ट्रेशन, ज्यूडिशियरी, पुलिस और आर्मी के अलावा सरकार के और कोई काम नहीं हैं. सरकार का काम वेलफेयर देना, गरीबों की मदद करना, समानता स्थापित करना, स्कूल और हॉस्पिटल चलाना नहीं है.

यह बात स्वीकार किए बिना आप टैक्स बढ़ाए जाने का विरोध नहीं कर सकते. यदि सरकार को यह सब करना है तो वह टैक्स बढ़ाएगी और टैक्स वहां बढ़ाएगी जहां बढ़ाने से उसको सबसे कम राजनीतिक और आर्थिक नुकसान हो. उसके राजनीतिक हित निम्न वर्ग के पास सबसे अधिक हैं, आर्थिक हित उच्च वर्ग के पास. तो हमेशा पिसेगा मध्यम वर्ग. चाहे कोई भी सरकार आए…

सरकार मत बदलिए, फिलोसॉफी बदलिए… सरकार का काम लोगों में समानता लाना नहीं है, सरकार काम सुरक्षा देना, आपकी स्वतंत्रता की रक्षा करना है. उसके बाद समाज में समृद्धि भी बढ़ेगी, असमानता भी बढ़ेगी… सभी समृद्ध होंगे पर असमान रूप से… अपनी अपनी क्षमता के अनुरूप.

इस फिलोसॉफी को स्वीकार कीजिए, फिर टैक्स का विरोध कीजिए. यह तर्क तो बिल्कुल मत दीजिए कि विदेशों में टैक्स अधिक है पर वहां सरकार सुविधाएं भी अधिक देती है. सरकार आपके इनकम टैक्स से आपको कोई सुविधा नहीं देती. हर सुविधा के लिए अलग से टैक्स लेती है. साफ सफाई के लिए अलग काउंसिल टैक्स लेती है, सड़कों के लिए भारी भरकम रोड टैक्स लेती है, जो हर साल देना होता है. मेडिकल सुविधा के लिए नेशनल इंश्योरेंस लेती है जो टैक्स ही है. वृद्धावस्था पेंशन के लिए पैसे सैलरी से अलग काट लेती है.

यह सारी सुविधाएं फ्री हैं तो सिर्फ उसके लिए जो बिल्कुल निकम्मा है, नकारा है, ड्रग एडिक्ट और एल्कोहलिक है. उसको फिर सरकार मुफ्त घर, बिजली पानी ही नहीं, नशा पानी के लिए अलग से पैसे भी देती है. सरकार सुविधाएं देती है के ट्रैप में बिल्कुल मत आइए. सुविधा के ट्रैप में फंसिएगा तो हमारी तरह 50-60% टैक्स देते रहिएगा.

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