राजीव मिश्रा : मेरी दो पैसे की सलाह कुछ और है…

हमारे देश में शांति चल रही है क्योंकि अमेरिका के वामपंथियों के सारे रिसोर्सेज अपने देश को आग में झोंकने में लगे हुए हैं…

डोनाल्ड ट्रम्प को चाहे जितना कोसिए, लेकिन वह जीत कर नहीं आया होता तो आज यह आग हमारे देश में लग रही होती. विपक्षी आउल बाबा को न पेट्रोल घटता ना उनकी माचिस भींगती.

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जिस देश में डेढ़ दो लाख लोग रोड एक्सीडेंट में हर साल मर जाते हैं और सरकार डंडा हाथ में लेकर भी आपको हेल्मेट पहनने और सीट बेल्ट लगाने के लिए राजी नहीं कर सकी है, वह देश एक सोनम रघुवंशी के केस से जाग कर विवाह ही नहीं करने के ऑप्शन पर विचार करने लगा है…

सचमुच, हम बहुत सेफ्टी कॉन्शियस हो रहे हैं, अच्छा है!

हमारी पीढ़ी के ज़ुआइल लोग नयका खिच्चा भातिया लोग को ज्ञात दे रहे हैं कि बियाह के बाद साल दो साल हनीमून पर मत जाओ..कहीं घूमने जाना है तो रिश्तेदारी में घूम के आ जाओ..

मेरी दो पैसे की सलाह कुछ और है…

लइका लोग! बियाह के बाद अपनी मेहरारू को साल दो साल मौसी, फुआ, बड़की छोटकी बहिन, चाची, मामी से थोड़ा संभार के रखिए. उ गांव मोहल्ला ज़वार से दूरे रखिए जहां जादे और गहरा रिश्तेदारी है. पहले मेहरारू को बूझ लेने दीजिए दूर से कि किसका मिजाज कैसा है, किससे कितना बतियाना है. किसके सामने सास का रोना रोया जा सकता है और किसके सामने जेठानी का चुगली करना सेफ है. नहीं तो गृहस्थी में पहले दिन आग लग जाएगा. पहला साल दू साल साथ में समय बताइए और जब कॉन्फिडेंस डेवलप हो जाए तब गहरे पानी में उतारिए. नहीं तो मेहरारू ठिकाने लगाएगी ऐसा तो बहुते रेयर किसी किसी के साथ होता है पर रिश्तेदारी में लट्ठम लठ्ठा रोज होता है.

और बुढ़वा लोगन का मत सुनिए, इनको हनीमून जाने नहीं मिला है इसलिए मारे जलन में बोल रहे हैं. पहिले पैसा कौड़ी भी टाइट होता था और दहेजुआ बचत बाबूजी ढीला नहीं करते थे कि बेटा हनीमून जाए. अपने दाम्पत्य को अपनी जिम्मेदारी समझिए और गंभीरता से खुद संभालिए.

हँसी मजाक अपनी जगह है, पर आखिरी पैरा बिल्कुल सीरियस बात है.

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