ध्रुव कुमार : मैं दिलीप मंडल के विचारों का समर्थन करता हूँ कि…

दिलीप मंडल से कई मामलों में मतभेद होते हुए भी मैं इतना मानता हूं कि उनके द्वारा जो रिसर्च और कार्य किया जाता है वह सराहनीय है। वास्तव में दिलीप मंडल इस समय जो स्टैंड लिया है। वही बाबा साहेब अंबेडकर का भी स्टैंड था।

अर्थात सामाजिक न्याय और दलितों के अधिकारों के लिए मांग करते हुए भी भारतीयता के साथ खड़ा रहना नाकि अपने तुच्छ हितों के लिए म्लेच्छों और देश विरोधी तत्वों के साथ हाथ मिला लेना।

मैं इस बात का पूर्ण समर्थक हूँ कि दलितों को हिंदू समाज में पूरा सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए, उन्हें आरक्षण भी मिलना चाहिए और इतिहास में उनके साथ उनके साथ कोई भी भेदभाव हुआ है तो उसके लिए पूरे हिन्दू समाज को आगे आकर उसकी भर्त्सना करनी चाहिए व सुधार करना चाहिए।

और अगर आज भी आप अपनी जाति के अहंकार में डूबे रहते हैं अपनी जाति के गुंडे और बाहुबलि के लिए टिकट चाहते हैं और नही मिलने पर आप राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के खिलाफ भी विद्रोह करते हैं तो आपसे बड़ा दोगला व पापी कोई नही है ।

इसी प्रकार अभी भी राजस्थान, मध्यप्रदेश अन्य राज्यों में घोड़ी चढ़ने या मूछ रखने को लेकर कुछ लोगों को अहम जाग जाता है और जातिगत संघर्ष करते हैं उसके बाद भी चाहते हैं कि बाकी जातियां उनका साथ दे तो ऐसे लोग धूर्त और दोगले हैं।

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मतलब यह नही है कि नेता जब हमारी जाति का होगा और हमें विशेष अधिकार होगा तभी हम हिंदुत्व का समर्थन करेंगे।

अतः मैं दिलीप मंडल के विचारों का समर्थन करता हूँ कि भारतीयता के साथ हिंदुत्व के अंदर सामाजिक न्याय, राजनीतिक भागीदारी व सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना।

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