नितिन त्रिपाठी : मनुष्य इस प्रकृति का निरीहतम प्राणी है…

इस समय पारा 45 पहुँच रहा है, पूरा भारत गर्मी से त्राहि माम कर रहा है. इस समय सोसल मीडिया पर लाइक शेयर पाने का बेस्ट तरीक़ा है लिखना कि मनुष्य के विकास ने सब सर्वनाश कर दिया. सोसल मीडिया में हर दूसरी पोस्ट यही होती है, मजेदार बात यह कि पोस्ट लिखने वाले को यदि एसी उपलब्ध है तो वह पोस्ट एसी में बैठ कर नहीं तो पंखे / कूलर में बैठ कर लिखी गई होती है.

मनुष्य इस प्रकृति का निरीहतम प्राणी है, यह धरती मनुष्यों के लिए नहीं बनी है. दो पैरों पर चलता है जंगली जानवरों के जैसे तेज भाग नहीं सकता. बंदूक़, औज़ार न बनाता तो कब का समाप्त हो गया होता. नौ महीने पेट में और फिर उसके बाद अक़्ल प्राप्त कर सामान्य लेवल तक आते आते दो तीन साल लगते हैं. किसी भी प्राणी से ज्यादा. सुरक्षित घर न बनाता तो बच्चे जीवित न बचते मानवता समाप्त हो गई होती कबकी. गर्म खून का स्वामी है अर्थात् शरीर का तापमान फिक्स रहता है बाहर का चाहे जो हो. तो यदि बहुत ठंड है तो शरीर का तापमान 98.4 डिग्री बनाये रखने में शरीर की इतनी ऊर्जा खर्च होती जो वो सप्लाई न कर पाता, मृत्यु हो जाती. आग / गर्म घर / ऊन / कपड़े इसी लिये चाहिए.

इस धरा पर जितनी जीवित कोशिकायें हैं एवोल्यूशन ने उन्हें केवल दो चीजें सिखाईं हैं. जीवित रहना और प्रजनन करना. जीवित रहने के लिए एक जानवर दूसरे जानवर को मार कर खाता है, बचा हुआ वेस्ट भी करता है. प्रकृति संरक्षण बिंदु से देखें तो कितनी ज्यादा कार्बन वेस्टेज है.

यह फ़ोटो एआई से बनाई है कि यदि विकास न हुआ होता तो बेस्ट रोमांटिक वे में मनुष्य कैसे रह रहा होता. देख सकते है. इन परिस्थितियों में आज कौन रहना पसंद करेगा वाक़ई में मुँह मुँह से कहने वाली बातें अलग.

मनुष्य जैसे जैसे समझदार और विकसित हो रहा है वह सिस्टम ऑप्टिमाइज़ कर रहा है. हज़ार साल पहले आग में जला कर भोजन बनाता था अब उससे हज़ार गुना एनर्जी एफ्फिसिएंट तरीक़े से बनाने लगा है, अविकसित जानवरों को ये चिंता नहीं होती. प्रकृति का संरक्षण विकसित मनुष्य ही कर रहा है. भारत में ही अब साल दर साल फारेस्ट प्रतिशत बढ़ रहा है. जिस पुराने दिन की कल्पना कर हमारी सोसल मीडिया पीढ़ी आह्लादित होती है उस दौर में सबसे ज़्यादा पेड़ काटे गए थे और फारेस्ट का लेवल बहुत कम हो गया था. अब जब वैज्ञानिक विकास हुआ तो समझ आई कि जंगल बचाने चाहिये. मनुष्य शायद धरती का इकलौता जीव है जो जंगल उजाड़ता है तो लगाता भी है. अन्य जानवर केवल उजाड़ते ही हैं.

तो ख़ामख़्वाह का गिल्ट मत पालिये. मनुष्य हैं विज्ञान तकनीक को बढ़ावा दीजिये आपके जीवन की रक्षा वही कर रही है और प्रकृति की रक्षा भी वही ही कर रही है. और यदि नापसंद है तो इस फ़ोटो जैसा जीवन आज भी आप जी सकते हैं स्वयं जीकर आदर्श प्रस्तुत किया जा सकता है.

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