योगेश किसले : समाचार पक्का है..!

1जून को इंडी गठबंधन की बैठक ऐसे ही नही आहूत थी। एग्जिट पोल से पहले ही देश और दुनिया को खबर हो गयी थी कि मोदी फिर से आ रहे हैं। अब मोदी से खार खाने वाले देश के विपक्षी दल भर थोड़े है। दुनिया की एक बड़ी ताकत मोदी के पीछे लगा हुआ है। आम आदमी की जानकारी के लिए बता दूं कि किसान आंदोलन के दौरान ग्रेटा थंबर्ग मियां खलीफा जैसे लोग मोदी का तख्ता पलटने ही आये थे पैसे लेकर। जॉर्ज सोरेस जैसे उपद्रवी लोगो के निशाने पर मोदी हैं ही। खालिस्तानी , पाकिस्तानी , चीनी , ओमानी जैसे एक्टिविस्ट सह आतंकी भारत को एक लुंजपुंज देश के रूप में देखना चाहते हैं।

लगभग 350 एन जी ओ विदेशी फंडिंग से देश को अस्थिर करने की साजिश कर रहे हैं । देश के लिब्राण्ड समुदाय , आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले, वामपंथी संगठनों और र विष गैंग के पत्रकारों से इस मुहिम को हवा देने की कोशिश की जा रही है। आखरी चरण के चुनाव के बाद ही ऐसे एजेंसियों की सामूहिक बैठक हुई है और इसमें फ़ैसला लिया गया कि सरकार बनते ही मोदी के खिलाफ एकसाथ के आंदोलनों को लांच किया जाए। चुनाव आयोग के पास विपक्षी नेताओं की हाजरी देने का भी काम इसी साजिश का हिस्सा है। इसके बाद अलग अलग संगठन अपने स्तर पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। यह आंदोलन इतना घनीभूत होगा कि एक तरफ सरकार बनाने की कवायद चल रही होगी और ये विरोध का कार्पेट बॉम्बिंग कर रहे होंगे। मोदी को अस्थिर करने के लिए हर तिकड़म आजमाया जाएगा । चुनाव परिणाम के तुरत बाद ऐसा इसलिए किया जा रहा कि चुनाव को भी संदेह के घेरे में रखा जा सके। यानी देश के लोकतंत्र को भी बदनाम किया जा सके ।
वे यह भी जान रहे हैं कि मोदी इस बार रोड रोलर लेकर इन विघ्नसंतोषियो का संहार कर सकते हैं इसलिए अपनी हरकतों को वैश्विक स्तर पर प्रोपोगेंडा करने की योजना है । भारी फंडिंग हो रही है । इनके हाथों का खिलौना विपक्ष भी बन रहा है। चुनाव में हर जीत अलग बात है लेकिन देश की अस्मिता से खिलवाड़ कैसे बर्दाश्त किया जाएगा।

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