डॉ. भूपेन्द्र सिंह : हिंदुओं के लिए समदर्शिता का सामाजिक आधार बौद्ध दर्शन है और आध्यात्मिक आधार ब्राह्मण दर्शन

लोग इस भ्रम से बाहर निकलें कि कोई कथावाचक, कोई बाबा, कोई संत आपका अथवा आपके समाज का भला करेगा। वह सब अपना भला करने निकलें हैं, कोई आध्यात्मिक स्तर पर अपना भला चाहता है तो कोई सांसारिक स्तर पर, इससे अधिक अंतर नहीं है।
लोगों को स्वयं जाग्रत होकर अपने सामाजिक जीवन में बौद्ध चिंतन को अपनाना होगा। ब्राह्मण दर्शन को व्यक्तिगत मनन, चिंतन के लिए रखिए। इसके अलावा कोई भी ज़िद आपको धीरे धीरे निगल रही है और निगलती ही रहेगी।


जब मैं यह बात लिखता हूँ तो इसका स्पष्ट अर्थ होता है कि जो आप सोचते हैं, उसे ही अपने जीवन में भी उतारें। दोहराव भरे जीवन जिसमें आप कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, ने इस हिंदू समाज को बहुत कष्ट दिए हैं, हिंदुओं को इसको स्वीकार करके सुधार करना चाहिए।
आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूपों से समदर्शिता और समरसता स्वीकार करना पड़ेगा। हिंदुओं के लिए समदर्शिता का सामाजिक आधार बौद्ध दर्शन है और आध्यात्मिक आधार ब्राह्मण दर्शन। हिंदुओं को अपने इन दोनों मतों को स्वीकारना ही होगा भले उसको किसी भी नाम से करें वरना बिखराव जारी रहेगा।

Veerchhattisgarh

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