मनीष शर्मा : एक ड्राइवर की lynching के बहाने आप लाखों लोगों को न्याय से वंचित नहीं रख सकते…
अभी थोड़ी देर पहले ही New Year Trip से लौटा.. और देखा कि कुछ पेट्रोल pumps पर ये लम्बी लम्बी line लगी हुई हैं.
अमूमन ऐसी line तब ही लगा करती थी, जब सरकार तेल के दाम बढ़ाती थी… फिर लोग एक ही दिन में हफ्ते भारत का तेल भरा लेते थे… जैसे बाद में तेल नहीं मिलेगा.
2-4 लोगों से बात हुई तो पता लगा कि ट्रक ड्राइवरो की हड़ताल है…. इसलिए तेल के टैंकर्स नहीं पहुंचे.. और तेल की shortage हो रही है…इसलिए लोग line में लगे हुए हैं.
अपुन दो-दिन दिन से No Network Zone में थे… हल्का फुल्का काम चल रहा था.. लेकिन समाचार आदि से दूर… अब समझ नहीं आया कि ट्रक ड्राइवर क्यों हड़ताल पर हैं….. पता लगा कि कोई नया कानून है.. जिसमें ट्रक ड्राइवरो को बड़ी सख्त सजा और जुर्माना देने की बात हों रही है.
गरीब ट्रक वाले इतना जुर्माना कैसे भरेंगे…. उनका शोषण होगा.. इसी के विरोध में हड़ताल हों रही है… जो आने वाले दिनों में और फैलेगी.. और जनजीवन अस्तव्यस्त होना तय है.
मेरी याददाश्त में पिछले दिनों ऐसा कोई कानून ट्रक ड्राइवरो के विरुद्ध नहीं आया था… फिर ये किस कानून की बात हों रही है भला?
दरअसल कोई नया कानून नहीं है.. पुराने कानून में ही संशोधन हुआ है…और हिट एंड रन पर नया प्रावधान बनाया गाया है.
इसके अतंर्गत यदि सड़क पर हिट एंड रन की कोई घटना होती है, तो गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर को 10 साल की सजा तक हो सकती है. इसके अलावा गाड़ी मालिक या ड्राइवर को जुर्माना भी देना होगा.
दरअसल वाहन की टक्कर के बाद भाग जाने को हिट एंड रन माना जाता है. अब तक ऐसे मामलों में 2 साल की सजा का प्रावधान था और थाने से जमानत मिल जाती थी.
अब नए नियम के मुताबिक, यदि गाड़ी से कोई टकराता है और ड्राइवर पुलिस प्रशासन को सूचना दिए बिना मौके से भाग निकलता है तो उसे 10 साल तक की सजा होगी और फाइन भी लगेगा. यह फाइन 7 लाख रुपये तक का हो सकता है.
इसी कानून को गलत बताते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हरियाणा, दिल्ली, यूपी, एमपी, बिहार समेत कई राज्यों में ट्रक चालकों ने चक्का जाम किया है. ट्रक ड्राइवर ही नहीं बल्कि टैक्सी, ऑटो चालक भी इस नए कानून से परेशान हैं… सब कह रहे हैं कि ये काला कानून है.
सबसे पहली बात… तो ये कानून भारत में गाड़ी चलाने वाले हर व्यक्ति के लिए है.. खाली ट्रक या taxi ड्राइवर्स के लिए नहीं है….. मेरे और आप के ऊपर भी लागू है. यह Commercial गाड़ी और निजी वाहन पर भी लागू है…चाहे आप के पास कार हो या बाइक और स्कूटर हो.
दूसरी बात… यह कानून केवल Hit and Run मामले पर ही लागू होगा.
आपने किसी को टक्कर मारी… और आप वहाँ से भाग गए… पुलिस या किसी और को सूचना दिए बिना.. तो आप दोषी माने जाएंगे…… बस यही यह कानून कहता है.
Hit and Run के मामलों में भारत में हर साल 50,000 लोग मारे जाते हैं ( यह सरकारी आंकड़े हैं… असली आंकड़े इससे ज्यादा ही होंगे) और कई लाखों घायल हों जाते हैं.. जिनमे से एक बड़ी संख्या में लोग जीवनभर के लिए अपंग हो जाते हैं…या अपने अंग खो बैठते हैं.
नये कानून के तहत यदि किसी की गाड़ी से सड़क पर कोई टकरा जाता है और ड्राइवर पीड़ित की मदद करने की बजाय उसे मरता छोड़ गाड़ी लेकर या खुद भाग निकलता है तो फिर उसे 10 साल की सजा होगी और जुर्माना देना होगा.
वहीं पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने या पुलिस प्रशासन को सूचना देने वाले को राहत दी जाएगी. अब तक आईपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था… क्यूंकि IPC तो लगभग दो सौ साल पुराना कानून है… तब ऐसी परिस्थितियों के बारे में किसी को कोई अंदाजा ही नहीं था.
अब कुछ लोग इसमें बता रहे हैं…
कि accident होने पर लोग मारने लगते हैं… इससे बचने के लिए गाड़ी वाला भाग जाता है.
सही बात है…. लेकिन ऐसे भीड़ द्वारा मारे जाने वाले कितने ड्राइवर होते हैं?? बमुश्किल सैंकड़ो में… जबकि hit and run से मरने वाले ही 50,000 हैं… तो बड़ी Problem क्या है???
Hit And Run करना ही क्यों है??
अगर टककर हुई भी है.. तो पुलिस को बता दीजिये…. अगर आप तब वहाँ से भाग भी गए.. तो निकटतम थाने चले जाइये… Mobile तो सभी के पास है… पुलिस को इत्तीला कर दीजिये… कम से कम पीड़ित के पास सहायता पहुंच जायेगी.. वो बच जायेगा…… या इतना भी संभव नहीं है??
मेरे एक जान पहचान वाले जवान लड़के की पिछले दिनों accident में मृत्यु हुई है…. टक्कर मारने वाला भाग गया… लड़का तड़प तड़प कर मर गया…. उसके माँ बाप उस पर आश्रित थे… अब दोनों की दयनीय हालत है.
ऐसे मामलों में क्या किया जाए… छोड़ दिया जाए.. नहीं बनाये कोई कानून??
कोई कह रहा है कि भैया चुनाव आने वाले हैं.. कानून अभी क्यों बनाया.
अरे भिया यहाँ हर तीन महीने में चुनाव होते हैं.. कभी लोकसभा, कभी राज्य, कभी पंचायत, कभी local चुनाव.. कभी university के चुनाव… इस हिसाब से तो देश में कोई कानून बनना ही नहीं चाहिए.
किसी भी कानून को सही या गलत जाँचने के लिए यह देखिये कि क्या वह कोई Problem Address कर रहा है??
Hit and Run से होने वाली मानव हानि बहुत अधिक है….किसी एकाध मामले में किसी ट्रक ड्राइवर की lynching हुई होगी.. उसका बहाना बना कर आप लाखों लोगों को न्याय से वंचित नहीं रख सकते.
ड्राइवर की lynching के मुट्ठी भर मामले हैं.. जबकि hit and run के मामले आपको अपने आस पास, पास पड़ोस या रिश्तेदारी में बहुत मिल जाएंगे… ऐसे में यह बहाना बेकार है.
वैसे भी अब Lynching के विरुद्ध भी कानून बन चुका है.
ऐसे तो कल को कोई दफा 302 के विरुद्ध भी चक्का जाम कर देगा.. कि देखो भिया इसमें तो फांसी की सजा मिलेगी… अपराधी को मौत या उमरकैद मिलती है.
अरे जब तुम ऐसे काण्ड करोगे, तभी तो मिलेगी…. कुछ नहीं करोगे तो क्या सरकार पकड़ कर फांसी दे देगी??
और भारत जैसे देश में बड़ा चालान और सजा ही बहुत बड़ा Deterrent है… वरना लोग सुनते नहीं.
Drunk and ड्राइव के मामले कम हुए हैं… बिना belt चलाना कम किया है लोगों ने… लोग अब Pollution और Insurance ज्यादा करवाते हैं…..ये कोई ह्रदय परिवर्तन नहीं हुआ है… मोटा चालान और सजा के कारण ही हुआ है.
और मुद्दे की बात….अगर कानून गलत है…. तो ट्रक ड्राइवर ही क्यों… देश के हर व्यक्ति को.. जो किसी भी प्रकार की गाड़ी चलाता हों.. उसे हड़ताल पर बैठ जाना चाहिए… और तख्ती उठा लेनी चाहिए कि हमें चाहिए Hit and Run करने की आजादी.