समर प्रताप : खटमलों को ही समाज मत समझे..

जब हम ट्रेनिंग में गए तो रात को जैसे ही सोते थे तो कुछ काटता था,लाइट जला के देखते तो कुछ नही दिखता लाल हुआ मिलता।
बाद में धीरे धीरे पता चला कि यंहा खटमल है।हम तो जानते भी नही थे।
इतनी सफाई के बाद भी खटमल क्यो है ये पूछने पर पता चला कि वर्षो से जो चारपाई है वही पड़ी है जो फर्नीचर है वही पड़ा है ।कभी बाहर नही जाता,चेंज नही होता तो धीरे धीरे खटमल पैदा हो गए है और ये धीरे धीरे बढ़ते ही जाते है।
जैसे ही आप लाइट जलाएंगे खटमल भागने लगे जाएंगे और अंधेरा होते ही फिर निकल जाएंगे।

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हम लोगो ने नीचे सोना शुरू कर दिया तो खटमलों से हमारी खुशी बर्दाश्त नही हुई वो नीचे भी आने लगे,हमे चैन से नही रहने देते थे,खून चूसना उनका प्रमुख काम था।
लास्ट में हम लोग धूप में चारपाई डालते संडे को,मिट्टी का तेल लगाते।या चारपाई के पाये बोतल काट के उसमे मिट्टी तेल डालके रखते पता है क्यो ???
ताकि अगर मैं मेरी चारपाई की सफाई भी कर दूंगा तो खटमल दूसरी चारपाई से आकर चढ़ जाएंगे।लेकिन अगर चारपाई के पाये मिट्टी तेल में रखने से खटमल उसमे गिर के मर जायेंगे।

हमारा खून पीते थे,लेकिन मार देते तो अजीब सी बदबू आती थी उनसे क्योकि खटमल अच्छे खून को भी सड़ा देते और फिर अच्छा खून पीने निकल जाते।

जातिवादी लोग भी आज समाज मे खटमल का रोल अदा कर रहे है,उनमे भी जातिवाद की श्रेष्ठ होने की अलग ही बदबू आती है, खटमल के जैसे।
आप जातिवाद की तरफ ध्यान नही दोगे तो वो आपको बताएंगे कि इन्होंने हमारे साथ ये किया वो किया।
वो न चाहते हुवे भी आपको जातिवाद में खींच लेना चाहते है।
उनके साथ नही आओगे सर्व समाज की बात करोगे तो वो आपको कोम का गद्दार,या डरपोक बोल देंगे।
बिकाऊ बोल देंगे।
और धीरे से आप भी उसी जातिवादी खटमल फ़ौज में शामिल हो जाएंगे।
जातिवादी लोग भी खटमलों के जैसे कभी अपने जाति और क्षेत्र से बाहर नही निकलते है,
बस खटमलों के जैसे एक जगह पड़े रहने के कारण पैदा हो गए है और समाजों के अंदर खून चूसने का इनका रोल रहता है।

अब अगर आप मजबूत है तो मिट्टी के तेल के जैसे इनसे बच जाएंगे नही तो इन्ही में शामिल हो जाएंगे।
आप तो बाहर रहे है दुनिया देखी है तो जानते है कि कोई जाति पूछता भी नही है बस आप कैसे है उसी हिसाब से लोग मिलते है।
इंसान अच्छे और बुरे मिलते है।
अब आपको इंसान बने रहना है या खटमलों के झुंड में शामिल होना है वो आपके ऊपर है।

राजस्थान में वर्षो से दोनो बड़े समाज मे खटमल भरे पड़े है नाम लेने से डर नही लगता मुझे लेकिन आप इंसान है तो दोनो तरफ के खटमल दिख जाएंगे।
अच्छे खासे नेता खटमलों के नेता बनके ही जी रहे है और हर रोज नए खटमल तैयार कर रहे है।
जिनका काम ही लोगो को लड़ाना है खून चूसना है।
जिसको डाउट हो कि मेरे समाज मे नही है वो मेरे से वीडियो ले लेना।दोनो समाज को दे दूंगा।
की कब 35 एक किया है कब गाली दी है।
वीडियो इंसान को दूँगा खटमल को नही क्योकि खटमल को समझ नही आएगा।

अब आपके ऊपर है,आप खटमलों की फ़ौज में शामिल होते है या इंसान बने हुवे दो समाज को जोड़ने का काम करते है।बाकी तो टाइम खटमलों का है क्योकि उनके पीछे नारे लगाने वालों की एक फ़ौज है।
आम आदमी को टाइम नही है की वो प्रतिक्रिया करे।
इसलिए खटमलों को ही समाज मत समझे।
समाज बहुत बड़े है।
खटमलों की लड़ाई तो हर दो चार महीने में दिखती ही रहती है।
किसी न किसी बहाने से उन्हें खून चूसना है।
उन्हें हर जगह से वही सब ढूंढ लेना है।

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