सुरेंद्र किशोर : 404 सीटें मिलीं वोट 49% ..303 सीटें वोट 37%

कांग्रेस को लोक सभा चुनाव में 1952 में 45 प्रतिशत वोट मिले।
कांग्रेस को 1957 के लोक सभा चुनाव में 48 प्रतिशत मत मिले।
कांग्रेस को 1962 के लोक सभा चुनाव में 45 पतिशत वोट मिले।
कांग्रेस को 1967 के लोक सभा चुनाव में 41 प्रतिशत मत मिले।
…………………………..
कांग्रेस को 1984 के लोक सभा चुनाव में 404 सीटें मिलीं।
फिर भी वोट 49 प्रतिशत ही मिले।
………………
2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा को 37 प्रतिशत मत मिले। कुल 303 सीटें मिलीं।
………………………….
यानी, किसी सत्ताधारी दल को अब तक 51 प्रतिशत मत नहीं मिले।
………………………..
इस पृष्ठभूमि में चुनाव सुधार के कुछ बिंदु यहां प्रस्तुत हैं।
………………………….
1, मतदान अनिवार्य किया जाना चाहिए।
इससे जातीय व सांप्रदायिक वोट
बैंक का राजनीति व सरकार पर असर समाप्त हो जाएगा।या काफी कम हो जाएगा।
अभी तो अनेक स्थानों में उनका असर निर्णायक है।
साथ ही संभव है कि उस स्थिति में किसी दल को 51 प्रतिशत मत मिल जाए।
तब यह माना जाएगा कि वह सरकार सचमुच बहुमत जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है।
……………………………
2.- उम्मीदवार नहीं,बल्कि हर सीट पर राजनीतिक दल
ही उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़ें।
बाद में पार्टियां विजयी सीटों पर अपने सदस्य मनोनीत कर दें।
……………………………
इससे होगा यह कि जो दल अपराधियों व घोटालेबाजों या वंशवादियों को मनोनीत नहीं करना चाहेगी तो नहीं करेगी।
इससे ये तीन तरह के प्रदूषण राजनीति से दूर होंगे।
लेकिन जब दल ही इन अवगुणों से ओतप्रोत होंगे तब तो
लोकतंत्र का भविष्य धूमिल होगा।
…………………………..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *