पूनम रानी : सीता रामम.. अंग प्रदर्शन करने से फिल्में हिट नहीं होती…
सबको प्रेम तो करना है, लेकिन बहुत जल्दबाजी में, थोड़े ही समय में सबकुछ मिल जाये, प्रेम तो वक़्त मांगता है, समर्पण, निस्वार्थ भाव और त्याग, लेकिन ये बातें भी लोगों को अब आउट डेटेड लगती है, जैसे प्रेम न होकर कोई फैशन हो…
भारत और पाकिस्तान के बीच पनपती नफरत के दौर में फिल्म “सीता रामम” एक ऐसी प्रेम कहानी है, जिसे कहा जाना बहुत जरूरी है। तारीफ की जानी चाहिए इस फिल्म की पूरी टीम की और खासतौर से इसके निर्देशक हनु राघवपुडी की कि उन्होंने ऐसी कहानी पर एक बेहतर फिल्म बनाने में कामयाब पाई।कहानी समाज, दस्तूरों और परिवार की तंग गलियों से होकर गुजरती है। हर नुक्कड़ पर एक नया मोड़ है। एक नया किरदार है। एक नया एहसास है और है एक नया सिनेमा।
एक युवा फौजी की दृढ़ता, एक मासूम प्रेमी की निश्छलता और एक अनाथ की परिवार पाने की उत्कंठा, सबको दुलकर ने इस फिल्म में जिया है। और, मृणाल ठाकुर! इतनी खूबसूरत तो कोई अप्सरा ही दिख सकती है। पूरी फिल्म में वह भारतीय परिधानों में ही अधिकतर दिखती हैं।(बॉलीवुड अभिनेत्रियों को मृणाल से सीख लेनी चाहिए अंग प्रदर्शन करने से फिल्में हिट नहीं होती) साड़ियों में कमाल की खूबसूरत दिखीं मृणाल ने अभिनय भी बेहतरीन किया है। अच्छा हुआ कि ये फिल्म हिंदी में डब होकर रिलीज हो गई। नहीं तो दुलकर और मृणाल की एक बढ़िया फिल्म देखने से हिंदी सिनेमा के दर्शक जरूर चूक जाते।
सबको प्रेम तो करना है, लेकिन बहुत जल्दबाजी में, थोड़े ही समय में सबकुछ मिल जाये, प्रेम तो वक़्त मांगता है, समर्पण, निस्वार्थ भाव और त्याग, लेकिन ये बातें भी लोगों को अब आउट डेटेड लगती है, जैसे प्रेम न होकर कोई फैशन हो…. प्रेम में इंतज़ार क्या होता है यह फिल्म देखने के बाद समझ पाएंगे आजकल सोशल मीडिया का प्रेम अगर 2 मिनट किसी को लेट रिप्लाई दो तो टाटा बाय बाय बोल दिया जाता है खैर
फिल्म की खासियत वही प्रेम पत्रों का जमाना एक बार फिर से ज़हन में कहीं ठहर सा जाता है स्टोरी ऐसी जो कई सालों तक लोगों के दिलों दिमाग पर छाई रहेगी ऐसा नहीं है कि फिल्म में कुछ खामियां नहीं है फिल्म की हिंदी में डबिंग अच्छी है सभी कलाकारों ने बेहतरीन अदाकारी की है पर अगर बात की जाए संगीत की तो वहां आपको निराशा हाथ लगेगी संगीत पर कोशिशें असरदार नहीं रही
कहीं पढ़ा था :-)
मोहब्बत में ख़त लिखने के अब वो ज़माने गए,
याद में महीनों राह ताकने के अब वो ज़माने गए,
जिस्म मिलाने के बाद पूछते हो कि मोहब्बत है या नहीं?
मियाँ रूह से रूह दिल मिलाने के अब वो ज़माने गए.
कलाकार
दुलकर सलमान , मृणाल ठाकुर , रश्मिका मंदाना , तरुण भास्कर , सुमंत यालगर्डा , गौतम मेनन , भूमिका चावला , प्रकाश राज और टीनू आनंद आदि।
लेखक
हनु राघवपुडी , रुथम समर और राज कुमार कदमुडी
निर्देशक
हनु राघवपुडी
-साभार
