ओम लवानिया ‘प्रोफेसर’ : कैसे तस्वीरों से नेगेटिव माहौल की नींव रखी जाती है…
कई दिनों पहले नैरेटिव के बारे में लिखा था। आखिर कैसे तस्वीरों से नेगेटिव माहौल की नींव रखी जाती है। ब्रितानी टीवी शो ‘द क्राउन’ के महत्वपूर्ण सीक्वेंस का हवाला दिया था। कि ब्रिटिश रानी एलिजाबेथ की छोटी बहन मार्गरेट के बॉयफ्रेंड बाद में पति एंथोनी आर्मस्ट्रांग जोंस फ़ोटो क्लिक करते है। उनका दावा था। कि ऐसी मार्गरेट को सामने रखूंगा। जिसे आजतक न देखा होगा।
मार्गरेट के कपड़े कंधे से नीचे करके और कैमरा एंगल ऐसा रखा। इसे आम आदमी देखें। तो मार्गरेट को न्यूड समझे। जबकि ऐसा कुछ न था। बस फ़ोटो और पोज का कमाल था। जब सुबह शाही परिवार मार्गरेट की तस्वीर अखबारों के फ्रंट पर देखता है तो चौंक जाता है। कि ऐसी बेहूदी फ़ोटो खिंचवाई है। शाही परिवार की इज्जत की धज्जियां उड़ा दी।
एंथोनी अपने फोटो क्लिक के जरिये जो नैरेटिव रखना चाहते थे। रख दिया। सफल हुए।
कल से सोशल मीडिया पर योगी जी की पुनः ताजपोशी समारोह से एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, पीएम मोदी जी, मुख्यमंत्री योगी जी और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक….तर्क है। कि योगी जी को रोकने के लिए ऐसा मंत्रिमंडल गठित हुआ है। शपथ कार्यक्रम की फ़ोटो में योगी जी को किनारे किया गया है। ये तस्वीर मोदी जी को 2024 में भारी पड़ेगी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले हाई वे उद्धघाटन पर भी वीडियो चलाकर योगी जी का अपमान करार दिया था। कि मोदी जी ने योगी जी को अपमानित किया है। ब्ला ब्ला ब्ला।
यहाँ फोटोग्राफर एंथोनी के माइंड सेट वाली तकनीक से इस तरह फ़ोटो द्वारा नैरेटिव से हिंदुओं को जाति में विभाजित करने का षड्यंत्र मात्र है। कल की फ़ोटो से राजपूत और ब्राह्मण में तलवारें खींच जाए। दरार पड़े। तभी ऐसी फ्रेम क्लिक करके उड़ाई है। जबकि उसकी अगली फ्रेम कुछ और अलग नजरिया दे रही है।
भाजपा वंशवाद की उपज कतई नहीं है। आज मोदी जी है कल योगी जी होंगे। अमित शाह होंगे। किसी राजनेता की जागीर नहीं है। लेकिन….लेकिन! नेतृत्व करिश्मा अवश्य है। इसे कोई नहीं छीन सकता है। ये अनुभवों के आधार पर निखरता है। पहली बात तो ये है। कि योगी जी को कोई रोक नहीं सकता है। योगी जी के तेज में राख हो जाना है। मेरे नजरिये में उदहारण केशव प्रसाद मौर्य…
मोदी-शाह जोड़ी योगी जी के उदय को रोक न पाएंगे। जैसा सोशल मीडिया में दावे किए जा रहे है। मुझे लगता है ऐसा कुछ नहीं है। परन्तु…परन्तु! योगी जी को राजनीति में लंबी पारी खेलने के लिए विश्वासपात्र टीम की सख्त जरूरत है। ऐसी टीम जो महत्वाकांक्षी न हो। किसी लालच में धोखा न दे। कंधे से कंधा मिलाकर योगी जी के साथ चले। वरना योगी जी जनता से बहुमत तो जीत सकते है। लेकिन राजनीतिक पिच पर दांव-पेंच से मात खा जाएंगे। पहले कार्यकाल में मौर्य ने ख़ूब कोशिश की थी। योगी बाबा को निपटाने के लिए अनेक तीर छोड़े थे।
मोदी जी के पास अमित शाह न होते। तो यकीनन, निपटा दिए जाते। क्योंकि अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। सत्ता और राजनीति नंबर्स पर चलती है। जिसके पास नंबर्स है बॉस है। मसलन- कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी।
ऐसी फ़ोटो से कुछ हासिल न होना है। क्योंकि सरकार भाजपा को चलानी है। एकजुट होकर सरकार चलेगी। अभी तो एक दिन भी नहीं बिता है। अफवाहें और कयासबाजी शुरू भी कर दी है। थोड़ा रुको तो सही…मामला देखो तो सही। इतना जल्दी में काहे हो।
साभार : ओम लवानिया ‘प्रोफेसर’