एस्ट्रो निशांत : वाहन दुर्घटना.. न अटकेंगे न भटकेंगे इसके तिलक से सीधे टारगेट पर पहुंचेंगे

एस्ट्रो निशांत (+917974939026) कहते हैं कि कुंडली में अगर दुर्घटना से संबंधित अशुभ योग होने पर व्यक्ति के साथ बार-बार ऐसी स्थितियां बन सकती हैं। दुर्घटना के योगों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय भी हैं लेकिन एक सबसे ज्यादा प्रभावशाली उपाय है तिलक अष्टगंध, लाल चंदन का तिलक लगाना। अब प्रश्न उठता है कि अष्टगंध, लाल चंदन का ही तिलक क्यों..??

दुर्घटना में व्यक्ति की जनहानि और धनहानि का नुकसान जरुर होता है। दुर्घटना चाहे किसी के भी साथ हो लेकिन दुख पूरे परिवार को झेलना पड़ता है और उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।

हमारा कोई अपना या हम वाहन से कहीं जातें है तो हमारे मन में कहीं न कहीं न भय बना रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाये। छुट-पुट घटनायें जिनमें हल्की फुल्की चोट तो अक्सर हम सभी के साथ होती है लेकिन जब हम कुछ बड़ी घटनाओं सुनते या देखते है तो मन भयाक्रांत हो जाता है।

एस्ट्रो निशांत (+917974939026) कहते हैं कि कुंडली में अगर दुर्घटना से संबंधित अशुभ योग होने पर व्यक्ति के साथ बार-बार ऐसी स्थितियां बन सकती हैं। दुर्घटना के योगों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय भी हैं लेकिन एक सबसे ज्यादा प्रभावशाली उपाय है तिलक अष्टगंध, लाल चंदन का तिलक लगाना। अब प्रश्न उठता है कि अष्टगंध, लाल चंदन का ही तिलक क्यों..??

महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण एक सारथी की तरह  सर्वप्रथम पांडुपुत्र अर्जुन को रथ में सम्मान के साथ चढ़ाने के साथ फिर आरूढ़ होते थे और अर्जुन के आदेश की प्रतीक्षा करते थे। हालांकि अर्जुन उन्हीं के आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन के अनुरूप चलते थे, परंतु भगवान कृष्ण अपने इस दायित्व का समर्पण के साथ निर्वहन करते थे।

युद्ध के अंत में वह पहले अर्जुन को उतार कर ही उतरते थे। भगवान कृष्ण अर्जुन से विजय सुनिश्चित करने के लिए भगवती दुर्गा का आशीर्वाद लेने को कहा।

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को  हनुमान का आह्वान करने के लिए कहते हुए कहा वह महावीर हैं, अजेय हैं और धर्म के प्रतीक हैं।

अब आपको बताते हैं कि अष्टगंध, लाल चन्दनय केसर तिलक किस प्रकार से वाहन दुर्घटना से आपकी,आपके परिवार की, आपके प्रियजनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

श्रीकृष्ण की देह से अष्टगंध की महक आती थी और वे पार्थ सारथी बने।

यह सबको पता है कि युद्ध के अंत तक महावीर हनुमान रथ की ध्वजा पर विराजमान थे। रथ की ध्वजा जहां पर लगाई जाती है, उस स्थान को रथ का माथा भी कहा जा सकता है। 

श्रीकृष्ण और महावीर हनुमान का ही प्रताप था, जो कि महाभारत के युद्ध के मध्य रथ का पहिया जिधर भी घूम जाता था, उधर ही विरोधी सेना में खलबली मच जाती थी। युद्ध के मध्य महाभारत के सभी महारथियों का रथ कही न कही अटका, भटक गया लेकिन अर्जुन का रथ सीधे टारगेट तय कर ही विश्राम करता था।

श्रीकृष्ण या हनुमानजी के नाम का स्मरण करके अष्टगंध, लाल चंदन अथवा सिंदूर का तिलक लगाकर आप वाहन चलाते हैं तो आपके रथ रुपी सायकिल, स्कूटर, बाइक, कार की हर प्रकार की भीषण दुर्घटनाओं से आपकी सुरक्षा होगी।

यह एक अनुभूत लगभग 10 पैसों का, 10 सेकंड का उपाय है, प्रयोग पूरी श्रद्धा के साथ कीजिए, सफलता मिलेगी।

ललाट आज्ञा चक्र के हिस्से को कवर करता है वही यह गुरु का स्थान है और इस पर लगाए गए तिलक बहुत सारे शोक के परिणामों से बचा लेता है।

हम सनातन संस्क्रति में तिलक को सदा महत्व देते आये है। ये अध्यात्म का प्रतीक है। वही ये हमारी दु:शक्ति से रक्षा करता है। हमारा ललाट गुरु का प्रतीक है। गुरु धर्म, आध्यात्म और मन्दिर का प्रतीक है।

तिलक बृहस्पति को मजबूत करने साथ ही बृहस्पति के अशुभ फलों की तीव्रता में कमी लाने के लिए तिलक आवश्यक है।

तिलक हमारे औरा अर्थात आभामंडल को मजबूत करता है और साथ ही तिलक हमे दुर्घटना से भी बचाता है

चंदन हो या अष्टगन्ध या सिंदूर ये सभी ललाट की शोभा बढ़ाने के साथ ही राहु व शनि के दुष्प्रभाव से बचाते हैं।

 

देह का कारक मङ्गल है।।

 

मङ्गल को राहु भ्रम और शनि दुर्घटना से नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन यदि मंगल अध्यात्म की ऊर्जा के साथ बढ़े गुरु का प्रभाव लेकर बढ़े तो उसकी रक्षा होती है।

गुरु को हम तिलक से मजबूत करते हैं।

लेकिन सिर्फ तिलक ही केवल इस बात की पुष्टि नही करता कि हम सुरक्षित है। हमे नीति-नियम का भी पालन करना होगा।

इसलिय रोज पूजन कर के आध्यत्मिक ऊर्जा बढ़ाये और तिलक लगाएं।

लड़कियां हड़बड़ी में ब्रेक का काम पैरों से लेने का प्रयास करती हैं और ब्रेक की जगह उनका हाथ एक्सीलेटर पर ही पड़ जाता है, ऐसे में वे अष्टगंध, लाल चंदन का उपयोग बिंदी के स्थान पर कर सकती हैं।

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