डॉ. भूपेंद्र सिंग : भारत में नैतिकता की परिभाषा धर्म के आधार पर मूलतः निर्धारित होती हैं…

चार आठ उत्तर प्रदेश बिहार के गरीब लोगों को बेइज्जत करने और एक दो बैंक में बैनर पोस्टर फाड़ने के बाद मुस्लिम भीड़ से माफ़ी मांगने के साथ राज ठाकरे का तथाकथित तौर पर मराठी आंदोलन आज पूर्ण असफलता के साथ समाप्त हो गया। मराठी उपराष्ट्रवाद को इतनी बार निचोड़ा गया है कि अब इसमें रस नहीं बचा है। इसलिए यह आंदोलन इतनी जल्दी शुरू होकर समाप्त हो गया।
सभी भाषाई आंदोलनों का यहीं हश्र होना है। यदि बार बार भाषा के नाम पर आंदोलन होगा तो लोग इससे ऊब जाएँगे। तमिलनाडु हो या कर्नाटक, ये सारे आंदोलन फ्रॉड हैं, और इसमें वास्तव में कोई आधार नहीं है क्यूंकि भारत में नैतिकता की परिभाषा धर्म के आधार पर मूलतः निर्धारित होती हैं।
हिंदू चाहे तमिलनाडु का हो अथवा हरियाणा का, उन दोनों के नैतिक मूल्य और नैतिकता की परिभाषा एक है, उसी प्रकार मुस्लिम कश्मीर का हो अथवा केरल का, उनकी नैतिकता की परिभाषा और नैतिक मूल्य एक है। इस देश में यदि कोई लंबी विभाजन की रेखा थी, है और रहेगी, तो वह एक मात्र यहीं रेखा है। और यदि किसी मुस्लिम नाम वाले की नैतिकता हिंदू जैसी हो गई तो वह विवाद भी समाप्त। अयोध्या में एक स्थान पर ए पी जे अब्दुल कलाम गौरव पथ उत्तर प्रदेश सरकार ने बनवाया और नामित कराया, किसी ने गलती से कोई विरोध नहीं किया, उल्टा सबको गर्व की अनुभूति हुई। अतः ये भाषाई आंदोलनों से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, हाँ थोड़ा संभाल की आवश्यकता अवश्य है। यह सब विभाजन की फ्रॉड रेखा होने से कभी भी लंबे समय तक विवाद का कारण बन ही नहीं सकतीं।

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