अमित सिंघल : तो क्या उस प्रेशर को भारत के बढ़ते महत्त्व के रूप में नहीं देखना चाहिए ?
अगर कनाडा हमारे प्रधानमंत्री को अपने देश में घुसने देने को तैयार नहीं था, तो अन्य देशो के प्रेशर में कैसे आ गया? अगर अन्य देशो ने प्रेशर डाला, तो क्या उस प्रेशर को भारत के बढ़ते महत्त्व के रूप में नहीं देखना चाहिए?
अभी मार्च में कनाडा में नयी सरकार आयी है जिसके कारण मई के अंत में मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम एवं ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को G7 में आमंत्रित किया गया था। फिर जून में एक ही दिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एवं भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी को आमंत्रित किया गया था।
इनके बाद इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो को G7 के लिए आमंत्रित किया गया था ।
क्या यह माना जाए कि इन सभी नेताओ को अन्य देशो के प्रेशर के कारण आमंत्रित किया गया था? या फिर यह नयी कनाडा सरकार में निर्णय की प्रक्रिया में देरी इंगित कर रहा है?
क्या कोई भी लोकतान्त्रिक राष्ट्र, भारत जैसी तीसरी सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक अर्थव्यवस्था (लोकतान्त्रिक शब्द पर ध्यान दीजिए) को इग्नोर कर सकता है?
आप सत्य बोल रहे है, बिलावल मियां। मुझे आपके कथन पर पूर्ण विश्वास है।
एक बार पढ़ा था कि जब अटल जी विपक्ष में थे, तो अपने सम्बोधन के दौरान सत्तापक्ष (कांग्रेस एवं सहयोगी दल) की टोका-टोकी से भड़क कर प्रवाह में बोल गए कि उस ओर (सत्ता पक्ष) के आधे सांसद गधे है। जब सत्ता पक्ष ने शोर मचाया तो लोक सभा अध्यक्ष ने अटल जी से क्षमा मांगने अपने शब्द वापस लेने को कहा।
अटल जी खड़े हुए। कहा कि कि वे खेद व्यक्त करते है कि वे गलत थे। फिर कई सेकंड की चुप्पी के बाद चिरपरिचित तरीके से हाथ लहराते हुए बोले, कि वे अपने शब्द वापस लेते है क्योकि सत्ता पक्ष के आधे सांसद गधे नहीं है।
जब लोक सभा अध्यक्ष एवं सांसदों ने समझा कि अटल जी क्या खेल, खेल गए है, तो सबकी हंसी छूट गयी। लेकिन अब उनके पास विरोध करने के लिए कोई मुद्दा नहीं था।
अभी पढ़ा और वीडियो देखा कि यही खेल बिलावल भुट्टो जरदारी भी न्यू यॉर्क में खेल गए है।
संवाददाता सम्मलेन में एक तीखे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि “सभी पाकिस्तानी आतंकवादी नहीं हैं”।
आप सत्य बोल रहे है, बिलावल मियां। मुझे आपके कथन पर पूर्ण विश्वास है।
