अमित सिंघल : नक्सलवाद पर PM मोदी के वक्तव्य “अंतिम सांस” के मायने
रिपब्लिक प्लेनरी समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है।
ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।
इस वक्तव्य में एक महत्वपूर्ण तथ्य निहित है – वह तथ्य जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद लगातार कहते रहते है।
और यह तथ्य है Governance (प्रशासन या state authority) को Grassroot Level या आमजन तक पहुंचाना। प्रशासन को आमजन तक पहुंचाने से तात्पर्य है कि सड़कें, स्कूल-अस्पताल, मोबाइल नेटवर्क इत्यादि को उपलब्ध करवाना।
किसी भी क्षेत्र को अशांत बनाए रखने के लिए विध्वंसक तत्व – आतंकी एवं नक्सल – की रणनीति होती है कि उस क्षेत्र में प्रशासन को पहुंचने ना दिया जाए। इस रणनीति को लागू करने के लिए आतंकी पूरा जोर लगा देते है कि उस क्षेत्र में विकास ना होने दिया जाए। कारण यह है कि अगर प्रशासन ही नहीं होगा, तो कैसी सरकार और कैसा राष्ट्र?
यही रणनीति आतंकियों ने कश्मीर में और नक्सलियों ने मध्य एवं पूर्व भारत के कुछ प्रांतो में अपनाई थी।
तभी संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद किसी भी अशांत क्षेत्र में टिकाऊ (sustainable) शांति स्थापित करने के लिए कहते है कि अशांति के मूल कारणों – root causes – से निपटना आवश्यक है जिसके लिए प्रशासन या state authority को स्थापित करना होगा। संक्षिप्त में, इसे peacebuilding (शांति निर्माण) कहा जाता है।
अर्थात, पहले बलप्रयोग से प्रशासन स्थापित करे, उसके बाद तुरंत विकास कार्यो को बढ़ावा दे।
मैं कई बार लिख चुका हूँ कि प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी टीम निर्धनता उन्मूलन, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, शांति स्थापित करने के लिए वही (आधार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, फ्री अन्न, घर, शौचालय, बिजली, नल से जल, भूमि का स्वामित्व पेपर, बैंक अकाउंट, ग्रामीण कनेक्टिविटी, लोन सुविधा, स्वास्थ्य बीमा इत्यादि) कर रहे है जो संयुक्त राष्ट्र कई वर्षो से कहता आ रहा है।
परिणाम यह निकला कि भारत से भीषण निर्धनता (दो समय के भोजन एवं कपड़ा की व्यवस्था करने में भी कठिनाई) समाप्त हो चुकी है तथा निर्धनता (रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था के बाद अन्य पारिवारिक कार्यो के लिए धन – discretionary income – की उपलब्धता) भी मोदी सरकार के इस कार्यकाल में समाप्त हो जायेगी।
तभी विकसित भारत की परिकल्पना साकार होगी।
यही ठोस कार्य है, ना कि नारेबाजी।
