सर्वेश तिवारी श्रीमुख : प्राइमरी के शिक्षक की स्नातक स्तर के प्रश्नों पर मौन लज्जा का विषय नहीं…
अब आवश्यक है कि विपत्ति के क्षणों में हम कम बोलना सीख लें, कि कई बार चुप्पी सर्वाधिक आवश्यक होती है। हर विषय में जानकारी होने के दावे के साथ स्पष्ट मत देना और उसी पर जिद्द के साथ अड़ जाना केवल हास्यास्पद नहीं, यह विपत्ति को बढ़ा देता है।
संसार का कोई भी व्यक्ति हर विषय का जानकार नहीं हो सकता। मैं प्राइमरी का शिक्षक हूँ, यदि स्नातक स्तर के प्रश्नों पर चुप रह जाऊं तो यह लज्जा का विषय नहीं। उस स्तर का शिक्षक जब उन प्रश्नों का उत्तर ढूंढ लेगा तो हम भी समझ लेंगे। और यदि तब भी समझ न आये तो कोई बात नहीं। यह जरूरी तो नहीं कि हम सबकुछ जानें ही…
कल विमान दुर्घटना में एक व्यक्ति बच गया। मेरे हिसाब से यह मृत्यु के तांडव के बीच जीवन की एकमात्र उम्मीद थी। कम से कम इसी बहाने कुछ तो सकारात्मकता आती… अंततः जीना तो इसी व्यवस्था में है न? न हवाई यात्रा बन्द होने वाली है, न धरती खत्म होने वाली है। लेकिन लोगों ने ऐसा होने नहीं दिया।
कल सैकड़ों पोस्ट दिखी कि उसकी जांच हो, वही गिराया है, बच कैसे गया? साजिश की बू… कुछ तो गड़बड़ है… कितना दुखद है यह! सम्भव है कि वही गड़बड़ हो, पर उसकी जाँच करने के लिए एक्सपर्ट हैं न! हमसे हजार गुना अधिक समझ रखने वाले… वे अपना काम कर ही रहे होंगे न… फिर फैसला सुनाने की इतनी बेचैनी क्यों?
किसी ने कहा कि तेल की टोंटी बन्द थी, कोई कहता है स्विच गिरा हुआ था… यह प्रश्न भी खूब दिखा कि विमान उड़ते ही क्रैश कैसे हो सकता है। जबकि यह भी कहीं पढ़े कि अधिकांश विमान या तो उड़ते ही दुर्घटनाग्रस्त होते हैं या उतरते समय…
हम आप सामान्य लोग हैं दोस्त। यदि मैकेनिक न हों तो किसी मोटरसाइकिल के बन्द होने का वास्तविक कारण नहीं बता सकेंगे, फिर उतने बड़े विमान पर जिद्द के साथ कोई बात क्यों ही करनी?
मान लीजिये कि मैं दुर्घटना पर कोई अंदाजा लगाऊं और कल वही सही निकल जाये, तो भी क्या बदल जायेगा? हम क्या जहाजों के एक्सपर्ट मान लिए जाएंगे? नहीं न! फिर सनसनी क्यों ही फैलानी?
किसी भी दुर्घटना के समय हम आप दो ही काम कर सकते हैं। यदि सम्भव हो तो पीड़ितों की सहायता करें, और यदि यह न कर सकें तो अपने ईश्वर से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करें… उस मेडिकल कॉलेज के दर्जनों बच्चे हॉस्पिटल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे होंगे… उनके लिए प्रार्थना करने की जरूरत है…
यह घटना इतनी भयावह है कि दशकों तक इसकी चोट बनी रहेगी। ढाई सौ यात्री और लगभग सौ मेडिकल स्टूडेंट… सोच कर ही किसी का भी कलेजा फट जाय। वह परिवार जिसमे पति-पत्नी और तीन बच्चे थे… उनकी तस्वीर वायरल करने की क्या जरूरत है दोस्त? देख कर छाती फटती है।
कुछ बातें केवल ईश्वर के भरोसे छोड़ दी जानी चाहिये। क्योंकि हम आप सबकुछ नहीं कर सकते…
