देवांशु झा : …क्योंकि तुम्हारे दिमाग में फफूंद लग चुका है…!

-श्री देवांशु झा।

मोदी विरोधियों का मत है कि इस त्वरित और दारुण छायाचित्र के लिए नरेन्द्र मोदी ने फोटोग्राफर को इस क्षण की प्रतीक्षा करने को कहा।‌ मोदी विरोध में दृष्टि बाधित होते जा रहे ये लोग अब मतरसुन्न भी होते जा रहे। जो भी फोटो जर्नलिज्म की आधारभूत समझ रखता है, उसे पता है कि फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हर परिस्थिति में सबसे मार्मिक छवियों के लिए प्रयासरत रहते हैं।

कौन क्या निकाल पाता है, यह परिस्थिति और उसकी प्रतिभा, श्रम पर निर्भर करता है। इस फोटोग्राफर ने इस क्षण की प्रतीक्षा की होगी। यह उसकी प्रत्युत्पन्नमति थी कि उसने इस क्षण को थाम लिया।

Veerchhattisgarh

मैंने मीडिया में लगभग बीस वर्ष के कार्यकाल में देखा कि दर्जनों भयावह हादसों की सबसे हृदयविदारक छवियों पर संपादक गणों की गीध दृष्टि होती थी। जब वे तस्वीरें और वीडियोज़ आने लगते तब उन पर भावुकतापूर्ण स्क्रिप्ट लिखी जाती। तब प्रश्न उठता है कि–क्या कटे हुए अंगों के साथ भूशायित मृतक उठ खड़े होते थे और कैमरामैन से कहते थे कि मेरी यह छवि लेना! यह कैसी संवेदनहीनता और पागलपन है? व्यक्ति विशेष का विरोध इनका विवेक निगल चुका है?बरसों पहले कीनिया में जिस फोटोग्राफर ने भूमि पर असहाय, मरणासन्न पड़े बालक के सामने बैठे गिद्ध वाली छवि लेते समय गिद्ध और बालक से सही समय की आज्ञा मांगी थी? ऐसे कितने उदाहरण दिए जाएं?

ये मोदी विरोधी अपनी मूर्खता और जड़ता में दिनों-दिन वृद्धि कर रहे। ये लगभग पागल हो चुके हैं। इनका आरोग्य अब किसी मानसिक रुग्णालय में भी सम्भव नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *