कौशल सिखौला : कांग्रेस 2024 की नहीं 2029 की तैयारी कर रही है
कांग्रेस से अपना कुनबा ही नहीं संभल रहा , गठबंधन क्या संभालेंगे ? महाराष्ट्र में पहले मिलिंद देवड़ा गए , बाबा सिद्दीकी गए और अब कद्दावर नेता अशोक चव्हाण चले गए । वे अपने साथ क्या क्या ले गए , शीघ्र ही पता चल जाएगा । सिंधिया से लेकर गुलामनबी आजाद तक कितने चले गए , याद रखना मुश्किल है।
इतना याद है कि हेमंत विश्व सरमा भी चले गए थे , सीएम बन गए । चले तो सचिन पायलट भी गए थे , गलती कर गए , खाली हाथ रह गए । किस किस को गिनाएं , कतार लगी है । सबसे पुरानी पार्टी को ममता भी आंखें दिखा रही हैं और नीतीश भी खार खाए बैठे हैं । राहुल गांधी ने गठबंधन का नाम इंडिया रखकर नीतीश को चिढ़ाया तो बहुत था । ममता ने नीतीश की बजाय खड़गे को गठबंधन का अध्यक्ष बनवाकर रुलाया तो बहुत था।
पर नीतीश ने ऐसी पलटी मारी कि नीतीश के बजाय राहुल को पीएम फेस बनाने को आतुर लालू के बेटे तेजस्वी विधानसभा में चारों खाने चित्त हो गए , चौपट आ गिरे । जयंत चौधरी के साथ छोड़ देने से घबराए अखिलेश अब जाकर कांग्रेस को कुछ ज्यादा सीटें बेशक छोड़ दें , अभी तक तो तैयार नहीं थे।
अलबत्ता यूपी में कांग्रेस का जिस तरह सफाया हो चुका है , वह बताता है कि सपा को कांग्रेस से तालमेल करने का कोई लाभ मिलने वाला नहीं । वैसे भी राम मय हो चुकी यूपी में अखिलेश का बट्टा बैठाने में स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे छुटभइयों ने कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है । खैर ! इंडिया गठबंधन की बात तो क्या बनेगी , सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस में ही भगदड़ मच गई है।
ऐसे में सभी राज्यों में सीट तालमेल और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय किए बगैर गठबंधन का क्या होगा , सभी समझ रहेंगे । देखा जाए तो गठबंधन खोखली बंसरी और खाली संदूक बनकर रह गया है । बाहर से बंद , भीतर बिल्कुल खाली । ऐसे में राहुल गांधी कहां हैं कुछ अता पता नहीं।
न्याय यात्रा का कितना असर पड़ा , कोई नहीं जानता । इंडिया गठबंधन का निर्माण मोदी सरकार को पटखनी देने के लिए किया गया था । शायद ही इस समय राजनीति को कोई एक भी समीक्षक गठबंधन की विजय की कल्पना कर पाए । इंडिया नाम रखकर जो चतुराई दिखाई गई थी , वह सारी होशियारी धरी रह गई है।
कईं बार आश्चर्य होता है कि घटनाक्रम कितनी तेजी से बदलने पर भी समर्थकों को अहसास नहीं होता । राहुल की यह दूसरी यात्रा समाज पर कोई असर नहीं छोड़ रही , एक भी कांग्रेसी मित्र इस बात को स्वीकार नहीं करेगा । राहुल यदि दिल्ली में बैठकर गठबंधन संभालते तो बात आगे बढ़ती । अब तो न्याय यात्रा ने गठबंधन के साथ साथ कांग्रेस संगठन से भी अन्याय कर दिया । व्यक्ति केंद्रित पार्टी व्यक्ति के चेहरे से चलती है , खड़गे जैसे बुजुर्ग से नहीं।
वस्तुतः आज की कांग्रेस बुढ़ऊ पार्टी बन गई है । अब खड़गे , अशोक गहलौत , अजय माकन , कमलनाथ , तारिक अनवर , प्रमोद तिवारी , अधीर रंजन , जयराम रमेश जैसे नेता करेंगे क्या शाह मोदी के तेवरों का मुकाबला ? सोनिया गांधी युवाओं को आगे लाने से बचती रही , अब राहुल भी बचने लगे । कांग्रेस के एक नेता ने सही कहा कि कांग्रेस 2024 की नहीं 2029 की तैयारी कर रही है । सच कहें , तो उन्होंने शायद सही कहा है।
