कौशल सिखौला : बीजेपी और एनडीए ने लोकसभा की सभी 542 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची की फाइनल

मुहब्बत की दुकानें खोलते हुए राहुल गांधी कभी के कांग्रेसी गढ़ अमेठी पहुंच गए । उन्हें पराजय का स्वाद चखाने वाली स्मृति ईरानी भी अमेठी में थी , अतः राजनीति दिन भर चलती रही । अलबत्ता दोनों के बीच दंगल नहीं हुआ । गठबंधन के जिन अखिलेश के साथ कांग्रेस हाथ मिलाने को एक तरफा उतारू है , उन्होंने यूपी में राहुल की यात्रा में शामिल होने से इंकार कर दिया।

अखिलेश की ही तरह ममता ने भी तब मुहब्बत के यात्री राहुल से मिलने से इंकार कर दिया था , जब उनकी यात्रा बंगाल से होकर गुजर रही थी । उसके पूर्व असम में तो मुहब्बत वालों को असमिया जनता की ओर से इतनी तल्खी देखने को मिली कि उन पर कईं मुकद्दमे दर्ज हो गए । झारखंड में तो वैद्यनाथ में उनके खिलाफ नारेबाजी होने लगी । हां नीतीश और बीजेपी के जाल में फंसकर मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए तेजस्वी ने बिहार में जरूर राहुल की एक सभा में शिरकत की थी।

यात्रा और गठबंधन का क्या हाल है , उस पर और चर्चा नहीं करते । कुछ मित्र तो चाहते हैं कि राहुल की चर्चा ही न की जाए । अब कैसे न करें , इतनी आसान नहीं कि लड़े बिना मिल जाए । लेकिन इतना बता दें कि बीजेपी और एनडीए ने लोकसभा की सभी 542 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची फाइनल कर ली है । इस सूची को गुप्त रक्खा गया है , समय पर जारी कर दिया जाएगा।

तथापि विश्लेषकों तथा मीडिया के वरिष्ठ क्षेत्रों से सूचनाएं आ रही हैं बड़ी संख्या में वर्तमान सांसदों को इस बार प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा । अनेक महत्वपूर्ण सीटों पर वैसे ही नए चेहरे उतारे जाएंगे जैसे पिछले दिनों तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों के लिए उतारे गए थे । जाहिर है इसकी भनक पूर्व सांसदों को लग भी गई होगी । कुछ ऐसे सांसदों के नाम एक टीवी मीडिया ने प्रसारित भी कर दिए हैं।

राजनीति कितनी अनिश्चित है , कमलनाथ के ताजा संदर्भ से इसे समझ लीजिए । मध्य प्रदेश की राज्य इकाई को नकारते हुए पिता पुत्र दिल्ली आए , अपने घर पर केसरिया पताका फहराकर आए , पर गिनती गलत हो गई । प्रदेश भाजपाध्यक्ष ने उनके प्रवेश पर प्रदेश की ओर से कड़ी आपत्ति जताई । कमलनाथ प्रतीक्षा करते रह गए , उन्हें बुलाया नहीं गया।

दो दिन से कमलनाथ और नकुलनाथ को गालियां देने वाले कांग्रेस नेता अचानक पलट गए । ऐसा प्रायः नहीं होता जो पिता पुत्र के साथ हो गया है । कमलनाथ वैसे ही चूक गए जैसे कभी सचिन पायलट चूके थे । खबरें तो यहां तक आ रही हैं कि फारूख और उमर भी एनडीए के संपर्क में हैं । बातचीत चल रही है । बातचीत तो राज ठाकरे की भी चल रही है । यों जो भगदड़ मची है , वह नई नहीं । हर चुनाव के समय ऐसा होता ही आया है।

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