कौशल सिखौला : विपक्षी बहकावे में मोदी नाम नहीं लेते सीधे दुश्मन की आधी शक्ति ऐसे छीन लेते हैं.. संदर्भ अमेरिका-चीन और…

मौन में बड़ी शक्ति है । जरूरी नहीं किसी की बद्तमीज़ी और बेहुदी का तत्काल जवाब दें । कईं बार उपेक्षा बहुत फलदाई होती है । दुश्मन देश आक्रमण कर रहा हो तो डबल आक्रमण की जरूरत होती है । यह नहीं कि उसको नाम ले लेकर धमकाते रहें । बढ़िया जवाब बढ़िया एक्शन होता है , बकबक नहीं । किसी भी एक्शन की तैयारी करनी पड़ती है । खुद को सक्षम बनाने के लिए पसीना बहाना पड़ता है , दोस्त बनाने पड़ते हैं । भारत ने वही किया है । भारत पहले भी 133 निर्गुट देशों का दोस्त था , आज भी दुनिया के 193 देशों का दोस्त है ।

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अमेरिका जैसे दोस्त से मुंह फेर लेने की ताकत भारत में है तो चीन जैसे दुश्मन को दोस्त बनाने की अदा भी हमारे देश को आती है । मित्रों हमने पहले भी कईं बार कहा है कि मोदी के पास सामने वाले की आधी शक्ति छीन लेने की ताकत है , तो खुरापातियों को बोतल में उतारना भी उन्हें खूब आता है । ध्यान दीजिए । चीन ने भारत के साथ दोकलाम और गलवान किए , भारत ने मुंह तोड़ जवाब दिया । देश कुछ परेशान नेता चिल्लाते रहे कि चीन का नाम नहीं लिया । अब नहीं लिया तो नहीं लिया , काम तो पूरा किया ? टैरिफ प्रकरण पर ही देख लीजिए । संकट से निपटने के लिए मोदी ने तमाम कूटनैतिक चैनल खोल दिए , 50/ 60 देशों से व्यावसायिक बाजार को लेकर तैयारियां की , जिनपिंग और पुतिन के साथ बैठक की । कईं बंद पड़े रास्ते खोले ।

पर एक बार भी झूठे डोनाल्ड ट्रम्प से बात नहीं की । हमारे देश के महान बयानवीर नेता चीखते रहे जवाब दो जवाब दो । मोदी ने एक बार भी अमेरिका या ट्रंप से बात नहीं की । 4 बार ट्रंप का फोन आया तो व्यस्त बताकर फोन पर नहीं आए । बड़बोले ट्रंप की घोर उपेक्षा की और बड़ी चतुराई से उपेक्षा को ही हथियार बना लिया । तो नतीजा देखिए ? अभिमानी ट्रंप को एक दिन कहना पड़ा कि की हमने मोदी को खोकर गलती की है । और फिर अगले ही दिन भारत के प्रधानमंत्री को ट्रंप ने महान नेता बता दिया । मोदी ने भी X हैंडल पर पोस्ट का जवाब पोस्ट से दिया । यही है इस देश की वह कूटनीति जिसने भारत को नया भारत बना दिया है । कल का नहीं आज का शक्तिशाली भारत बना दिया है ।

अब यह मान लिए कि आज का भारत उभरती शक्ति नहीं , उभर चुकी शक्ति बन चुका है । हम विकासशील राष्ट्र हैं मित्रों , विकसित बनने के करीब हैं । देश की तुलना देश के भीतर बीमार हो चुकी दमघोंटू राजनीति से मत कीजिए । इसका जवाब तो वक्त आने पर जनता देती आई है । देखिए किसी के अंध भक्त मत बनिए , देश के अंधभक्त बनिए । कहिए कि हां , हम अंध भक्त हैं , इस महान राष्ट्र के अंधभक्त , भारतमाता के अंधभक्त । वैश्विक हालात को देखते हुए देश को अभी 2029 तक नहीं , 2033 तक भी मोदी चाहिए । वे एक योगी का जीवन जी रहे राष्ट्र को समर्पित नेता हैं । वे आसन , प्रणायाम और सूर्य नमस्कार नियमित रूप से करते हैं , पूर्ण स्वस्थ हैं । तो आइए दमघोंटू सोच को राष्ट्रवाद में बदलें और भविष्य में अतिविकसित भारत बनाने के लिए पूर्ण तैयारी करें ।

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