नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष.. जीवन का पड़ाव नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास का महापर्व
नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष और राष्ट्रवाद
भारत की राजनीति में नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व केवल एक नेता का नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा के जीवंत प्रतीक का है। 17 सितंबर 1950 को जन्मे मोदी 2025 में जब 75 वर्ष के हो रहे हैं, तो यह केवल व्यक्तिगत आयु का पड़ाव नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति और राष्ट्रवाद की एक गहरी यात्रा का भी मील का पत्थर है।
मोदी के जीवन और राजनीति को देखें तो स्पष्ट होता है कि उनका हर कदम राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित रहा है। राष्ट्रवाद उनके लिए केवल एक नारा नहीं बल्कि जीवन का मूल मंत्र है “राष्ट्र प्रथम, मैं द्वितीय।” चाय बेचने वाले एक सामान्य बालक से लेकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा इसी राष्ट्रवादी चेतना का परिणाम रही।
राष्ट्रवाद की वैचारिक नींव
आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में बचपन से मिली शिक्षा ने मोदी के जीवन में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना बोई। यह राष्ट्रवाद सीमित या संकीर्ण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत दृष्टि से समग्र है।
शासन में राष्ट्रवाद का दर्शन
स्वच्छ भारत अभियान केवल सफाई का कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र के आत्मसम्मान से जुड़ी पहल है।
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत भारत की आर्थिक स्वतंत्रता और स्वाभिमान को प्रकट करते हैं।
डिजिटल इंडिया ने तकनीकी दृष्टि से भारत को विश्व पटल पर नई पहचान दी।
अनुच्छेद 370 का हटना, राम मंदिर निर्माण की गति, और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कठोर रुख सब राष्ट्रवादी राजनीति के निर्णायक कदम रहे।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर राष्ट्रवाद
मोदी ने भारतीय राष्ट्रवाद को वैश्विक कूटनीति से जोड़ा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज बुलंद करना, प्रवासी भारतीयों से आत्मीय संवाद और “वसुधैव कुटुंबकम्” के दर्शन को व्यवहारिक रूप देना, राष्ट्रवाद को वैश्विक दृष्टि दी।
75 वर्ष की उम्र और 75 वर्षों का भारत
यह संयोग भी अद्भुत है कि मोदी जब 75 वर्ष के हो रहे हैं, भारत भी अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर चुका है। जैसे राष्ट्र ने अपनी सीमाओं और संप्रभुता को मजबूत किया है, वैसे ही मोदी ने भी व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन को राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया है।
नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष केवल उम्र का आँकड़ा नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद की एक निरंतर चल रही गाथा है। उनके जीवन का हर अध्याय आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाता है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर राष्ट्र का हित सर्वोपरि है।
75 वर्ष के नरेंद्र मोदी : समर्पण और सेवा की अद्भुत गाथा
जब भी भारत के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय लिखा जाएगा, उसमें एक नाम विशेष तेजस्विता से अंकित रहेगा “नरेंद्र दामोदरदास मोदी।”
17 सितंबर 2025 को वे 75 वर्ष के हो रहे हैं। यह केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि उस साधक की साधना का उत्सव है, जिसने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित किया।
बाल्यकाल से राष्ट्रपथ तक
गुजरात के वडनगर की गलियों से निकलकर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला बालक, कैसे राष्ट्र का पथप्रदर्शक बने, यह कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। संघर्षों ने उन्हें तपाया, और त्याग ने उन्हें वह ऊँचाई दी जहाँ से वे करोड़ों भारतीयों के मन में विश्वास के दीपक जला सके।
गुजरात के विकास पुरुष
2001 में जब गुजरात की बागडोर उनके हाथों आई, तब चुनौतियाँ अपार थीं। मगर मोदी जी ने इन्हें अवसर में बदला। सड़कें, बिजली, उद्योग, निवेश हर क्षेत्र में गुजरात को उन्होंने एक आदर्श राज्य के रूप में गढ़ा।
यहीं से उनकी पहचान बनी “विकास पुरुष।”
भारत के प्रधानमंत्री : ऐतिहासिक कदम
2014 में जब देश ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया, तब करोड़ों भारतीयों के सपने उनके कंधों पर थे।
जनधन, उज्ज्वला, आयुष्मान, स्वच्छ भारत – इन योजनाओं ने सामान्य नागरिक के जीवन में बदलाव लाया।
अनुच्छेद 370 का हटना – भारत की एकता को अक्षुण्ण करने वाला निर्णय।
सर्जिकल व एयर स्ट्राइक – भारत की सुरक्षा के नए संकल्प।
स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत – युवा शक्ति को भविष्य की दिशा।
विश्व पटल पर भारत की गूंज
मोदी जी ने भारत की आवाज़ को विश्व मंच पर बुलंद किया।
2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की ऐतिहासिक मेजबानी।
अमेरिका, रूस, यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों से रिश्तों में नई ऊँचाई।
आज भारत केवल दर्शक नहीं, बल्कि वैश्विक निर्णयों का मार्गदर्शक है।
धर्म, संस्कृति और आस्था का पुनर्जागरण
रामलला के भव्य मंदिर का उद्घाटन, काशी और उज्जैन जैसे तीर्थों का नवजीवन यह केवल ईंट-पत्थर का निर्माण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मविश्वास का पुनर्जागरण है।
मोदी जी ने दिखाया कि आधुनिकता और परंपरा साथ-साथ चल सकती हैं।
75 वर्ष : एक युगपुरुष की तपस्या
75 वर्ष की आयु में नरेंद्र मोदी आज केवल एक नेता नहीं, बल्कि विचारधारा, विश्वास और विजन के प्रतीक हैं।
उनका जीवन संदेश है-
“संघर्षों से घबराना नहीं, उन्हें संकल्प में बदलना है।”
“सत्ता साधन नहीं, सेवा का माध्यम है।”
नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष उस गाथा का उत्सव हैं जहाँ बालक नरेंद्र से लेकर विश्वनायक मोदी तक की यात्रा समर्पण, सेवा और संकल्प से भरी है।
यह केवल उनके जीवन का पड़ाव नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास का महापर्व है।
