कौशल सिखौला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान में अगवानी के लिए तत्काल तैयार हो जाइए, वे कुछ ही घंटों में वहां पहुंच रहे हैं..

सेवानिवृत्ति का आखिरी हफ़्ता था । पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त सीए राघवन पैकिंग की तैयारियां कर रहे थे । वे हैरत में पड़ गए जब उन्हें तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर ने सीधे मोबाइल पर फोन किया । जयशंकर ने कहा कि मिस्टर राघवन तेजी से तैयारियां कीजिए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान में अगवानी के लिए तत्काल तैयार हो जाइए । वे कुछ ही घंटों में वहां पहुंच रहे हैं । इतना कहकर फोन रख दिया ।

राघवन सहित पूरे उच्चायोग कार्यालय में खलबली मच गई । महीना दिसम्बर का था , कड़ाके की ठंड थी , पर सब पसीना पसीना । यह बात 25 दिसंबर 2015 की है । यानि मोदी के पीएम बनने के डेढ़ साल बाद की । पूरे कार्यालय से खट खटाखट की आवाज आने लगी । संदेश लिए और दिए जाने लगे । थोड़ी ही मिनटों में यही हाल पाकिस्तानी पीएमओ और सचिवालय का था ।

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पाक सेना ने टॉप सिक्योरिटी अलर्ट जारी कर दिया । प्रधानमंत्री के विमान को जहां लैंड करना था वहां से पीएम नवाज शरीफ के आवास तक तमाम रास्ते सेना ने अपने अधिकार में ले लिए । इससे पहले कि किसी को सांस आता , पीएम मोदी का विमान बेहद सुरक्षित हवाई अड्डे पर लैंड हो गया । मोदी सीधे पीएम आवास गए , जहां रात को उनकी बेटी की शादी थी । मोदी ने बिटिया को उपहार दिए । नवाज उनसे गले मिले । कुछ देर घर पर बिताए , बातचीत हुई ।

हैरानी में पड़ी तमाम दुनिया कुछ समझ पाती , उससे पहले ही पीएम का प्लेन दिल्ली के लिए उड़ गया । तब जाकर अमेरिका , रूस और चीन को पता चला कि मोदी कितना बड़ा रिस्क लेकर , कितना बड़ा कूटनैतिक गेम खेल गए हैं । सारी दुनिया , यहां तक कि यूएनओ ने मोदी के इस कदम की सराहना की । भारतीय उच्चायुक्त राघवन ने अपनी पुस्तक ” दी पीपल टू नैक्स्ट डोर ” में पूरी घटना को विस्तार से लिखा है । गौरतलब है कि मोदी काबुल से दिल्ली लौट रहे थे । दोनों देशों के बीच शांति बहाली के लिए उन्होंने यह कार्यक्रम अचानक बनाया ।

कारगिल के बाद धुंधले पड़े भारत पाक संबंधों को सही डगर पर लाने के लिए यह बेहद संजीदा प्रयास था । लेकिन कहते हैं न कि कुछ चीजें बारह साल नली में रखने पर भी सीधी नहीं होती । पाकिस्तान भी उसी दुम की तरह है । वह प्रेम और कूटनीति की भाषा नहीं समझ सकता । वह तभी बाज आएगा जब 1965 और 1971 की तरह उसे पूरा सबक सिखाया जाए । ऐसा ही सबक डोकलाम और लद्दाख में कुछ साल पहले चीन को सिखाया गया था । हाल ही में पहलगाम के बाद उसे बुरी तरह बर्बाद जरूर किया है , पर पूरी तबाही अभी बाकी है । हालांकि काफी काम जल संधि स्थगन ने करना शुरू कर दिया है ।

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