डॉ.पवन विजय : डियो लगाकर पुरुष होने का स्वांग रचने वाला नर.. स्त्री का वास्तविक सौंदर्य…
प्रेजेंटेबल होना एक अलग बात है किन्तु स्त्री का असल सौंदर्य उसका इंटेलक्ट, असल मेक-अप स्वास्थ्य और बोलने का गुण उसका गहना है। इनके बिना सोने चांदी से लदी और रंगी पुती महिला दीमक लगी लकड़ी के बराबर होती जिसे वार्निश कर दिया गया हो। वह दूर से चमकेगी पर पास आने पर पता चल जाएगा कि इस लकड़ी से इमारत या फर्नीचर नहीं बन सकता, केवल जलने के काम में आने वाली वस्तु है।
बुद्धिमती और सौम्य स्त्री की देह पर सूती साड़ी किसी दिव्य वस्त्र से कम नहीं है, उसके बालों की वेणी किसी स्वर्ण आभूषण से कम नहीं, उसके हाथ की सामान्य घड़ी किसी सोने के कंगन से कम नहीं। उसका उत्तम स्वास्थ्य सबसे महंगे क्रीम पाउडर से हजार गुना बेहतर है।
स्त्रियों जितना तुम मेक-अप पर खर्च करती हो, बेहतर है कि उसका एक हिस्सा पुस्तकों में और अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाने में खर्च करो।
प्रेजेंटेबल होना एक अलग बात है किंतु पुरुषों का असली सौंदर्य उनके पास संसाधनों का होना है, स्वाभिमान अलंकार है और वीर्यवान होते हुए शालीन होना किसी ब्रांडेड प्रोडक्ट को देह पर लादने से हजार गुना अधिक शोभा देता है।
बाजारू मादाओं के पीछे भागने वाले और खुद के बाल पीले करा सारुक खान समझने वाले लीचड़ लोग नाममात्र के पुरुष हैं। जो अपने परिवार, प्रेमिका, मित्र, गुरुजन, संस्कृति की रक्षा करने में सामर्थ्यवान है उसी पुरुष के कीर्ति की गाथा समय लिखता है । उधारी और छल से जीवन चलाने वाले कायर लोगों की बकवास बताती है कि ईश्वर गीदड़ बनाते बनाते थक गया तो ऐसे आदमी बना दिए।
तुम पुरुष हो तो तुम्हारे संरक्षण में प्रत्येक जीव निःशंक रहे, तुम पुरुष हो तो भुजाओं में इतनी शक्ति हो कि निर्बल की रक्षा हो सके। तुम पुरुष हो तो मस्तिष्क में व्यवस्था, छाती वज्र सी, हृदय में कृतज्ञता, हाथ में सम्पत्ति का होना सुनिश्चित हो।
पुरुष होना पहाड़ होना है। स्थिर,विशाल और सबको आश्रय देने वाला।
डियो लगाकर पुरुष होने का स्वांग रचने वाला नर डियो के सूखते ही पुरुषत्व से च्युत होने लगता है। मेहनत का अरोमा पुरुष को शाश्वत सुगंधित रखता है।
हे पुरुषों! अपने श्रम, ज्ञान, शौर्य, वीर्य से कांतिमान बनो।
