सुरेंद्र किशोर : न तो शाहीनबाग धरने का कोई औचित्य था और न वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध का..तब…

न तो शाहीनबाग धरने का कोई औचित्य था
और न वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध का
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तब नागरिकता जाने की अफवाह थी,
अब वक्फ जमीन खोने का झूठ है !
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22 सितंबर, 2024 को ए.आई.एम.आई.एम.के प्रधान असदुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया था कि उत्तर प्रदेश में एक लाख 12 हजार वक्फ संपत्तियों के पक्ष में ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि वह वक्फ की ही संपत्ति है।
यू.पी.में वक्फ संपत्तियों की कुल संख्या एक लाख 21 हजार है।(ओवैसी के इस बयान को आप आज भी गुगल पर देख सकते हैं।)
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इसके बावजूद मुस्लिम पक्ष यह झूठ फैला रहा है कि यदि वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास हो जाएगा तो कब्रिस्तान ,मदरसा और मस्जिदें मुसलमानों से छीन ली जाएंगी।
तथाकथित सेक्युलर दल वोट के लिए इस गैर वाजिब अभियान का आज भी समर्थन कर रहे हैं।
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दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कहा है कि ‘‘जिस वक्फ जमीन का मालिकाना हक सन 1952 के राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज है,उसी को वक्फ की संपत्ति माना जाएगा।’’
(यानी, ऐसा नहीं होगा कि जिस जमीन पर आप अपनी अंगुली रख दीजिएगा,वह आपकी हो जाएगी।यह मध्य युग नहीं है।अब कानून का शासन है यहां।)
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नाजायज कब्जे का जो अनुपात यू.पी.में है,वही अनुपात संभवतः पूरे देश में है।इसीलिए तो इस देश में वक्फ के पास लाखों एकड़ जमीन होने का दावा है।
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शाहीन बाग की कहानी
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कुछ ही साल पहले अतिवादी मुसलमानों के नेतृृृत्व में शाहीन बाग (दिल्ली) में लंबा धरना दिया गया।
धरना नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ था।उनका तर्क था कि उसके लागू होने से भारत के मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी।
सी.ए.ए.के तहत आसपास के मुस्लिम बहुल देशों से जो वहां के अल्पसंख्यक प्रताड़ित होकर भारत आए,उन्हें आज नागरिकता दी जा रही है।पर इस सिलसिले में किसी भी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता नहीं छीनी जा रही है।
अब बताइए,कितने बड़े झूठ को आधार बना कर ‘‘शाहीन बाग’’ किया गया।तब दिल्ली तथा अन्य जगह उन लोगों ने भीषण दंगा भी किया था।अनेक लोग मारे गये।
अनेक तथाकथित सेक्युलर वोट लोलुप राजनीतिक दलों के नेताओं ने शाहीन बाग धरनास्थल पर जाकर उन दंगाइयों के प्रति एकजुटता दिखाई थी।वही दल आज भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक
गैर वाजिब आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

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