कौशल सिखौला : इसलिए लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी उन्हीं का बनेगा.. आप नेता प्रतिपक्ष देखिए , किसे बनाएंगे ?

एनडीए की सरकार बनने से आहत इंडिया ब्लॉक अब खुलकर खेलने के मूड में है । ऐसा लगता है कि गठबंधन को यह विश्वास बड़ी देर में आएगा कि एनडीए की सरकार बन चुकी है और वह पिछड़ चुका है । इंडिया ब्लॉक हर मोर्चे पर भिड़ने और लड़ने के मंसूबे बना चुका है । ताजा खबर यह है कि इंडी अलायन्स लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ेगा।
साथ ही एनडीए को एक ऑफर भी दिया है । वह यह कि यदि विपक्ष को संसद में उपाध्यक्ष का पद दे दिया जाए तो फिर इंडी गठबंधन अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेगा । मतलब साफ साफ धमकी दे दी कि या तो हमें उपाध्यक्ष पद पर लाओ , वरना हम खेल बिगाड़ेंगे ?

अब देखिए और महसूस कीजिए । इंडिया के पास 234 वोट हैं और एनडीए के पास 293 । मतलब लोकसभा अध्यक्ष भी एनडीए का बनेगा और उपाध्यक्ष भी । वे दिन हवा हुए साहब जब विपक्ष के साथ भी सौहार्द के रिश्ते हुआ करते थे । आज तो मौका मिलते ही धोबी पाट । वैसे बस चले तो निपटा ही डालें । पिछले दस वर्षों में विपक्षी दल विरोधी दलों में परिवर्तित हो चुके हैं । अब न तो संसद में पक्ष प्रतिपक्ष रहे और न सदन के बाहर । अब तो पक्ष और विपक्षी एक दूसरे को ब्याह शादियों तक में नहीं बुलाते । परंपराओं के वे जमाने हवा हुए । इस जमाने में एक दूसरे से घृणा और अपच के रोग लग गए हैं । सब दिल से दूर रहते हैं । आसपास कोई रहना भी नहीं चाहता।

जैसा कि हमने शुरू में कहा कि विपक्ष अब खुलकर खेलने का मन बनाए बैठा है । वैसे पिछले दस वर्षों में ही कौनसा दबकर खेला विपक्ष ? ना जाने क्यों राहुल और अखिलेश को लग रहा है कि उन्होंने बाजी मार ली है । अरे भाई आपने मिलकर बीजेपी को रोका जरूर , लेकिन तमाम दल मिलकर भी बढ़त नहीं ले पाए । 28 दलों के गठबंधन में भी सब ठीक नहीं है । बीजेपी ने केजरीवाल की कमर दिल्ली में तोड़ दी है तो कांग्रेस ने पंजाब में । अब कल ही देखिए । दिल्ली में कांग्रेस ने आप के खिलाफ़ प्रदर्शन किया , घड़े फोड़े । तीन सीट ही तो मिली केजरीवाल को । सही बात तो यह है कि कांग्रेस और आप अब अलग अलग हैं।

और ममता ही कौनसी साथ हैं गठबंधन के ? चुनाव के दौरान या मतगणना के बाद एक बार भी दिल्ली नहीं आई इंडिया वालों से मिलने ? पूरे चुनाव कांग्रेस का कोई भी नेता प्रचार के लिए बंगाल नहीं गया । भले ही पिछली लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी की बलि क्यों न चढ़ जाए ? तो इंडिया वालों समझ लो , बीजेपी नेत्रित गठबंधन की सरकार बन चुकी है।

जाहिर है लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी उन्हीं का बनेगा । आप नेता प्रतिपक्ष देखिए , किसे बनाएंगे ? राहुल को , अखिलेश को या फिर चुपचाप तमाशा देख रही ममता को ? कहना तो बेकार है । फिर भी कहते चलें कि आइए जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाइए । जनता पर कोई छाप तो छोड़िए ताकि पांच साल बाद वह आपको सत्ता तक पहुंचाए । हर बार हाथ मलते रह जाना ठीक नहीं है।

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