मां मड़वारानी मंदिर में उमड़ रही है श्रद्धालुओं की भीड़

कोरबा। आदिशक्ति पर्वत वासिनी पर्वत वासिनी मां मड़वारानी दाई मंदिर पहाड़ ऊपर नवरात्रि पर मां मड़वारानी सेवा एवं जन कल्याण समिति द्वारा संचालित मंदिर में माता मड़वा रानी दाई की मनोकामना ज्योति कलश श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्वलित कराया गया है। समिति के सचिव विनोद कुमार साहू ने बताया कि नवरात्रि पर्व में श्रद्धालुओं ने मनोकामना ज्योति  कलश प्रज्वलित कराया हैं, जिसमें घृत श्रृंगार ज्योति कलश 71 , घृत ज्योति कलश 41, तेल श्रृंगार ज्योति कलश 114, तेल ज्योति कलश  572 एवं हनुमान मंदिर में तेल सिंगर कलश 16 तेल ज्योति कलश 8 कुल योग 824 मनोकामना ज्योति कलश मंदिर में प्रज्वलित हुई है।
माता मड़वारानी दाई के मंदिर पहाड़ ऊपर  जगमग ज्योति कलश प्रज्वलित होकर नवरात्रि पर धूमधाम से मनाया जा रहा है। माता मड़वारानी दाई के दर्शन करने प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच रही है। गर्मी होने के बावजूद माता की महिमा और अपार शक्ति के कारण माता को  मानने वाले सभी श्रद्धालुओं का पैदल, एवं अपने वाहनों से प्रतिदिन माता मड़वा रानी दाई की श्री चरणों में अपना शीश झुका कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे है।
समिति के सचिव विनोद कुमार साहू ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं के लिए माता मड़वारानी  सेवा एवं जनकल्याण समिति द्वारा पीने की पानी की व्यवस्था की गई है तथा श्रद्धालुओं को प्रतिदिन पूजा पाठ सुगमता पूर्वक उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
मड़वारानी पहाड़ से जवारा विसर्जन यात्रा से अंचल हुआ रोशन
चैत्र नवरात्रि पर्व पर के अंतिम दिन राम जन्मोत्सव के शुभ मुहूर्त में मड़वारानी पहाड़ पर जवारा विसर्जन यात्रा पहाड़ से निकलकर हसदेव नदी किनारे पहुंची। लंबी कतार में सिर में जवारा लेकर चल रहीं महिलाएं और युवतियों की अगुवाई में ग्रामीण अंचल रोशन हो रहा था। अपने आप में यह एक आकर्षकभक्तिमय दृश्य मन-आत्मा को आल्हादित कर देने वाला दृश्य था। सिर में जवारा धारण कर पहाड़ से उतरते हुए महिलाएं और युवतियों की भीड़ देखने के लिए आसपास के ग्रामीण अंचलों के लोग बड़ी संख्या में शहर के लोग पहुंचे हुए थे। पहाड़ से उतरती जवारा विसर्जन यात्रा में भक्ति और आस्था के साथ अलौकिक ग्रामीण संस्कृति की अनुठा संगम नजर आ रहा था। इस ऐतिहासिक और अलौकिक दृश्य को सैंकड़ों लोगों के द्वारा अपने कैमरे में कैद करते देखा गया। भक्ति गीत के साथ हरि भरी वादियों और पहाड़ से उतरती महिलाओं ने हसदेवी नदी पर पहुंचकर पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना कर गाजे बाजे के साथ जवारा का विसर्जन किया।

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