कलेक्टर मैडम का गडकरी अवतार.. NTPC : झूठ बोले कउवा काटे…

कलेक्टर मैडम का गडकरी अवतार..होगा इनका उद्धार..??

नरसिंह अवतार का पर्व चला गया लेकिन कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के गडकरी अवतार की गूंज राजधानी के गलियारों में है।

Veerchhattisgarh

कलेक्टर मैडम के इस नए अवतार से ग्राम कोरबा ब्लॉक के टापरा, सुवाधार, नर्बदा इन तीन गांवो की आस भी जगी है। ये वे गांव हैं जिन्हें सड़कों की नहीं नन्हे से पुल-पुलिया की आवश्यकता है। उस पुलिया के बन जाने से बरसात के मौसम में उन्हें टापू में कैदी जैसा कालापानी का जीवन नहीं बिताना पड़ेगा..एक छोटा सा पुल तो बन ही जाएगा…

वर्ष 2014 में एक गर्भवती महिला की कोख उस वक़्त उजड़ गई, जब बारिश में पानी के तेज बहाव के कारण कोई चिकित्सीय सहायता नहीं मिल सकी। 2015 में तत्कालीन कलेक्टर पी. दयानंद की जानकारी में तब आई जब 2 लगभग दशक से संवेदनशील विषयों को प्रमुखता से उठाने वाले पत्रकार अरविंद पांडेय ने इस पर एक मार्मिक लेख लिखा कि किस प्रकार से कोरबा ब्लॉक से मात्र 30 – 35 किलोमीटर दूर परसाखोला नाले का उफान 3 गांवो के निवासियों के जीवन में तूफान खड़ा कर देता है और बारिश के मौसम में जिला मुख्यालय से पूरी तरह से काटकर अलग कर देता है।

इस संज्ञान लेते हुए तत्काल इस पर काम करने के निर्देश तत्कालीन जिलाधीश ने दिए। वर्तमान में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है लेकिन अब श्रीमती साहू की कार्यशैली से इन 3 गांवों के बेबस चेहरे पर आशा की चमक है.. कि शायद अब कोई चमत्कार हो जाये और करोड़ों नहीं सिर्फ कुछ लाख रुपयों की पुलिया आगे की पीढ़ियों का बेड़ा पार हो जाए।

NTPC : झूठ बोले कउवा काटे…

जनहित के विषयों पर संवेदनशील होने का दम भरने वाली NTPC प्रबंधन का सच सामने आया है। मेजर ध्यानचंद चौक से गोपालपुर तक बनने वाली सड़क को लेकर पिछले 5 सालों में कई आंदोलन हुए, लोग दुर्घटनाओं के शिकार हुए लेकिन फाइलें चंदामामा बनकर टेबलों पर घूमती रही। कुछ दिन पहले NTPC ने एक प्रेस वार्ता कर  इसका सारा ठीकरा PWD पर फोड़ अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली।

NTPC कोरबा के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बिश्वरुप बसु ने 20 march को प्रेस वार्ता में कहा था- ” दर्री- गोपालपुर सड़क के लिए 26 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। यह राशि जारी करने प्रबंधन वचनबद्ध है, लेकिन प्रबंधन तक वर्क आर्डर नहीं पहुंचा है। वर्क आर्डर मिलते ही 40 प्रतिशत की पहली किश्त जारी कर दी जाएगी। इसके बाद 40 प्रतिशत एवं कार्य के अंत में 20 फीसदी की शेष राशि जारी की जाएगी।”

वर्कऑर्डर कॉपी उपलब्ध नहीं कराने का आरोप उन्होंने लगाया था लेकिन इसके उलट PWD ने कार्यादेश की कॉपी सार्वजनिक कर दी। PWD ने 23 फरवरी को इस सड़क के लिए कार्यादेश जारी कर देने के बाद भी NTPC प्रबंधन ने फंड जारी करने में रूचि नहीं दिखाई।

अब जब छत्तीसगढ़ रोड एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा 496 कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति देते हुए 4 हजार 353 करोड़ 71 लाख रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके तहत मेजर ध्यानचंद चौक और गोपालपुर सड़क निर्माण के लिए भी 40 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल गई है। इस सड़क के निर्माण के लिए एजेंसी भी चुन ली गई है। एक माह पहले ही ठेका कंपनी से एग्रीमेंट पूरा किया गया है। अब एक दो दिन के अंदर काम पूरा कर लिया जाएगा। पत्रकार साथी राजकुमार शाह की इस विषय पर खासी रिपोर्टिंग भी सामने आई है।

अब आगे देखिए कि क्या NTPC प्रबंधन अपनी भ्रामक बातों को लेकर कोई खंडन करती है या फिर कोई नई कपोल कल्पित तथ्यों की रचना करती है??

अब NTPC अपने संवेदनशील फंड का क्या करेगी.. सुझाव तो यही है कि आदिवासी जिला है सो आदिवासियों के हितार्थ कार्यों के लिए 26 करोड़ जिला प्रशासन को सौंप देवें।

NTPC प्रबंधन में अगर इच्छाशक्ति है तो उन गांवों में इन रुपयों से पानी की टंकी बनवा देवें, जिन गांवों में सामुदायिक सेवा के नाम पर गर्मियों में पानी के टैंकर भेजकर बरसों से वाहवाही की हकदार बन रही है।

 

भूमाफियाओं का भी होना चाहिए सम्मान..?

गीतांजली भवन कोरबा जहां पर है, वहां कभी ग्राम पंचायत होता था, सरपंची से जुड़े लोग पुरानी बस्ती में हमारे पड़ोसी थे। 13 पीढ़ी हो गई है, इस गांव से शहर की यात्रा में और यही कारण है कि क्षेत्र में जमीन के पुराने से पुराने मूल दस्तावेजों की लंबी सूची कोरबा के बुजुर्गों के पास देखा है और उन जमीनों को आज आगे-पीछे होते देखकर बड़ा आश्चर्य होता है। इन सबके पीछे जमीन दलाली से जुड़े लोग ही सक्रिय हैं। इस क्षेत्र में वे लोग भी जुड़े हुए हैं जो सम्मानजनक ढंग से काम करते हैं और संतुष्ट होकर रहते हैं लेकिन एक और पक्ष के लोग तो वो हैं जिनकी धनलिप्सा कभी समाप्त नहीं होती।

भूमाफियाओं को भूमाफिया कहना एक प्रकार से उनका अपमान करने के समान है। वास्तव में उनका सम्मान किया जाना चाहिए। सड़कों के किनारे पर स्थित शासकीय भूमि को हनुमानजी की तरह हाथोंहाथ – रातोरात उठाकर पीछे की ओर ले जाते हैं और इसके साथ ही दन्न से नीजि जमीन को सड़क से लगाकर कब्जा दिला देते हैं और वहां खुल जाती है दुकानें.. बस्तियां बस जाती है…

एक प्रकार से किसी शहर, गांव को आबाद करने में सबसे ज्यादा योगदान इनका ही होता है।मोदी सरकार में पहली बार जमीन से जुड़े लोगों को पद्मश्री सम्मान देने की शुरुआत की है। लगे हाथों भूमाफियाओं को भी राष्ट्रीय न सही लेकिन जिला स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए।

देश-दुनिया : एक तस्वीर में भाजपा के चार राष्ट्रीय अध्यक्ष 

चारों अलग-अलग और एक आम भारतीय परिवार से आते हैं, जिनके पूर्वजों में भी किसी ने राजनीति का ‘र’ तक नहीं सीखा था। जो अपनी मेहनत के बल पर एक सामान्य कार्यकर्ता से शुरू होकर शीर्ष तक पहुंचे।

यही सही मायने में लोकतंत्र है, जहां आपको आगे बढ़ने के लिए किसी ‘परिवार विशेष’ की दया पर आश्रित नहीं रहना पड़ता। लोकतंत्र में सिर्फ कार्यों के आधार पर प्रशंसा होती है और इसी आधार पर भर्त्सना …। भारतीय लोकतंत्र का अद्भुत उदाहरण पेश करती तस्वीर ….।

 

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पता है..
कौन-सा लकार है जिसका प्रयोग केवल वेदों में ही होता है–

(क) लिट्,

(ख) लेट्,

(ग) लिङ्,

(घ) लट् ।

 

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