हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म की चोरी गई सैकड़ों मूर्तियों को ला रही मोदी सरकार..

हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म की चोरी गई सैकड़ों मूर्तियों को ला रही मोदी सरकार। आज इन पुरावशेषों का स्वदेश में होना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया है। 2014-2022 के दौरान 229 से अधिक प्राचीन पुरावशेषों को वापस लाया गया है लेकिन पूर्व की यूपीए और अन्य सरकारों की भारतीय संस्कृति के प्रति बेरुखी और केवल कागजों पर खड़ी की गई व्यवस्था का नतीजा रहा है कि आजादी के बाद से हर दशक में लगभग दस हजार देवी-देवताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को चुराकर विदेशों में बेचा जाता रहा है।

 


मोदी की श्रद्धा, आस्था और भारतीय स्वर्णिम इतिहास के प्रति लगाव का ही सुफल है कि पिछले सात साल में पुरा-महत्व की 250 से ज्यादा अनमोल प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन, हालेंड, फ्रांस, कनाडा, सिंगापुर और जर्मनी ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियों की स्वदेश वापसी की राह आसान बनाई है। अब पीएम मोदी के साथ मॉरिसन की मीटिंग से पहले ऑस्ट्रेलिया ने 29 बहुमूल्य वस्तुएं भारत को लौटाईं हैं। ये मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार की सामग्री – बलुआ पत्थर, संगमरमर, कांस्य, पीतल, कागज में निष्पादित मूर्तियां और पेंटिंग हैं।

आई पुरा महत्व की ये प्राचीन मूर्तियां और वस्तुएं भारत में एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन 29 पुरावशेषों का निरीक्षण किया, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया द्वारा भारत वापस लाया गया है। ये पुरावशेष 6 व्यापक श्रेणियों में हैं – शिव और उनके शिष्य, शक्ति की पूजा, भगवान विष्णु और उनके रूप, जैन परंपरा, चित्र और सजावटी वस्तुएं हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि ये मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार की सामग्री – बलुआ पत्थर, संगमरमर, कांस्य, पीतल, कागज में निष्पादित मूर्तियां और पेंटिंग हैं। बता दें कि ये पुरावशेष अलग-अलग समय अवधि से आते हैं, जो 9-10 शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 फरवरी को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत ही भारतीय प्राचीन मूर्तियों को याद करके की थी। पीएम मोदी ने कहा, “इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। इन मूर्तिंयों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है। इनका एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है…क्योंकि इनके साथ भारत की भावनाएं जुड़ी हैं, भारत की श्रद्धा जुड़ी है…ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिए का ही उदाहरण है…साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं ही भारत आईं थीं, लेकिन पिछले सात साल में दो सौ से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है। पिछले दिनों काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। मोदी सरकार के प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि अब 10वीं शताब्दी की दुर्लभ नटराज की प्रतिमा लंदन से अगले माह राजस्थान लाई जाएगी। यह मूर्ति रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) के सटे बाड़ौली के प्राचीन घाटेश्वर मंदिर से 1998 में चोरी हुई थी। अब यह प्रतिमा उसी मंदिर में या फिर कोटा के म्यूजियम में रखी जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध कारोबार, चोरी और तस्करी से निपटने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि लगभग आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म (60), बौद्ध (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित मूíतयां हैं। ये कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पुरावशेषों के प्रत्यावर्तन के लिए अमेरिका के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।

ढेरों पुरातनकालीन वस्तुएं अब भी बाकी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से वापस लाया जाना है। जानकारी के अनुसार मोदी सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गयीं प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है। लेकिन पूर्व की यूपीए और अन्य सरकारों की भारतीय संस्कृति के प्रति बेरुखी और केवल कागजों पर खड़ी की गई व्यवस्था का नतीजा रहा है कि आजादी के बाद से हर दशक में लगभग दस हजार देवी-देवताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को चुराकर विदेशों में बेचा जाता रहा है।

 

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