अमित सिंघल अमेरिकावासी : लोकतंत्र की तुलना में तानाशाही व्यवस्था कहीं अधिक उत्तम है..

राहुल गाँधी विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट पर भारत की निचली “रैंक” पर प्रसन्न हो रहे है। इस रिपोर्ट में भारत को कुल 146 राष्ट्रों में 136 वीं सीढ़ी पर दिखाया गया है। अंतिम पायदान पर अफगानिस्तान है।

भारत की तुलना में श्री लंका, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान इत्यादि कहीं ऊपर है।

आज ही पढ़ा कि श्रीलंका में विद्यार्थियों की परीक्षा स्थगित कर दी गयी है क्योकि प्रश्न पत्र छापने के लिए पेपर नहीं है। राष्ट्र में बिजली की भारी कटौती चल रही है क्योकि ईंधन खरीदने के लिए सरकारी कोष में पैसा नहीं है। अभी वहां की सरकार ने भारत से 7500 करोड़ रुपये उधर लिए है।

पाकिस्तान के बारे में ना ही लिखू तो उचित होगा। इतना कहना ही पर्याप्त है कि वह देश उधारी से चल रहा है।

बांग्लादेश इतना प्रसन्न है कि वह 94 वीं पायदान पर है; म्यनमार 126 वीं पर है । पता नहीं वहाँ के लोग बिना वीज़ा के भारत क्यों आना चाहते है? यहाँ तक कि अनियमित रूप से (अवैध) रहने वाले लोग भी वापस नहीं जाना चाहते।

माली (123 वीं पायदान) की बात की जाए जहाँ संयुक्त राष्ट्र का पीसकीपिंग मिशन है। यही स्थिति लीबिया (86) की भी है।

बुर्किना फासो (113 वीं पायदान) जहाँ मिलेटरी ने बंदूक की नोक पर सरकार को सत्ता से हटा दिया।

अहा ! वेनेज़ुएला (108 वीं पायदान) जहाँ एक कर्मी अपने वेतन से केवल दो सप्ताह का भोजन खरीद सकता है। फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में क्या कहना।

एल सल्वाडोर (49 वीं पायदान) हत्या के मामले में विश्व में नंबर एक पर है जहाँ सालाना प्रति लाख व्यक्तियों में 62 लोगो का मर्डर हो जाता है। जमैका (63 वीं पायदान) मर्डर लिस्ट पर दूसरी सीढ़ी पर है जहाँ 57 लोगो की हत्या हो जाती है। वेनेज़ुएला तीसरी पायदान पर है जहाँ 56 लोगो का मर्डर हो जाता है। होंडुरास (55 वीं पायदान) मर्डर लिस्ट पर चौथे नंबर पर है जहाँ प्रति लाख व्यक्तियों में 42 लोगो का मर्डर हो जाता है।

और भारत? जहाँ प्रति लाख 3 लोगो का मर्डर हो जाता है।

इस लिस्ट से एक अन्य मैसेज भी मिलता है। अलोकतांत्रिक राष्ट्र की जनता अधिक प्रसन्न है। उदाहरण के लिए, बहरीन (21 वीं पायदान); संयुक्त अरब अमीरात (24); सऊदी अरब (25); कज़ाख़स्तान (40); चीन (72); रूस (80); लीबिया (86); गाम्बिया (93); लाओस (96); इत्यादि राष्ट्र प्रसन्नता के मामले में भारत से कहीं ऊपर है।

क्या यह सिद्ध नहीं करता कि लोकतंत्र की तुलना में तानाशाही व्यवस्था कहीं अधिक उत्तम है?

राहुल गाँधी को मांग करनी चाहिए कि भारत लोकतंत्र त्याग दे।

 

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