कलेक्टर बस में बैठकर.. एन.टी.पी.सी…”शोले” के आगे पानी-पानी

कलेक्टर बस में बैठकर पहुंचती थीं गांव-गांव..

सामान्यतः आम जनता को अफसरों से मिलने के लिए महीनों चक्कर काटने के समाचार सामने आते रहते है, लोग अपनी समस्या लेकर अफसरों के पास एड़ियां रगढ़ते हैं। कुछ समय पूर्व बालोद जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की थी, जब बालोद के प्रशासनिक अफसर खुद आमजन के पास पहुंचकर लोगों की समस्या सुनते नजर आये थे। कलेक्टर समेत सारे अफसर एक बस में सवार होकर गांवो में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं का निपटारा करते। तब वहां कलेक्टर थी श्रीमती रानू साहू।

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19 बरस पहले कोरबा अजगरबहार ग्राम पंचायत को आदर्श ग्राम बनाने की सौगंध भले प्रशासन भूल गया था लेकिन कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी हुई है और गांवों की समस्याओं को जड़ से समझतीं हैं। सो पदस्थापना के साथ ही कोरबा के गांवों में भी उनकी पहल पर  गांवो में बहार लाने का प्रयास शुरू हो गया है।


ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी से कोई बड़ा काम नहीं पड़ता। ग्रामीणों का काम मात्र तहसीलदार, पटवारी और हवलदार तक ही सीमित रहता है और अधिकतर तो जाति, निवास,आमदनी प्रमाण पत्र के लिए महीनों तक चक्कर लगाते हैं। शिविर आयोजित किये जाने की जानकारी मिलते ही कई ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन के कुछ लोगों के विरुद्ध आवेदन पत्र तैयार कर लिया था।

जानकारी मिलते ही तत्काल “घर-घर मोदी” की शैली में रात-रात तक शिकायत करने वाले ग्रामीणों के घर-घर जाकर स्थानीय प्रशासन के लोगों ने शिकायती पत्रों को पेश नहीं करने का अनुरोध करके अपना गला बचाया।

कलेक्टर मैडम के रंग में जिले की नारियां…

साड़ी का फैला आँचल प्रार्थना  है , सर पर हो तो आँचल सम्मान देती और आत्मसम्मान भी बढ़ाती है , साड़ी का पल्लू दाँतो में दबा तो लाज की सुर्खियां बिखेरती है, वात्सल्य में डूबी मीठी किलकारियों को आँचल में समेटती है तो कभी चाभियों का गुच्छा छोर में बांध आधिपत्य का ठाठ दिखाती है।

शादी -ब्याह , व्रत, पारंपरिक पर्वों में, समारोहों में साड़ी पहन कर ही कोई भी स्त्री व्यक्तित्व की उच्चतम भव्यता को प्राप्त करती है। इन दिनों जिले के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीणों महिलाओं के मध्य कलेक्टर श्रीमती रानू साहू की साड़ी का क्रेज छाया हुआ है।

मुझे जिले की एक आदरणीया दीदी का कॉल आया -” आपके पास कलेक्ट्रेट से प्रेस नोट के साथ फोटोग्राफ्स भी आते हैं ” मेरे स्वीकारोक्ति के साथ ही उनका आदेश मिला ” उन फोटोशूट में से कलेक्टर मैडम के साड़ी वाले फोटो मुझे whatsapp कीजिएगा।”

मैंने कहा – “दीदी पेपरों में तो फ़ोटो छपते हैं।”

जवाब मिला -” अरे भाई उसमें साड़ी के प्रिंट,डिजाइन साफ नहीं होते।”

मैं समझ गया भाई साहब अब 5 मीटर की लंबाई में नपने ही वाले हैं।

संवेदना का दम भरती एन.टी.पी.सी. प्रबंधन का सच..? “शोले” के आगे पानी-पानी

एन.टी.पी.सी. सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है और खर्च करती भी है। आज-कल में एन.टी.पी.सी. प्रबंधन सिटी स्केन मशीन के लिए जिला प्रशासन को 1.7 करोड़ रुपए जारी कर रहा है।

कई वर्षों से कुछ गांवों में गर्मी के दिनों में पीने का पानी उपलब्ध कराने के नाम पर पानी के टैंकर भेज अपने कर्तव्य की इतिश्री एन.टी.पी.सी. प्रबंधन कर लेता है। आज मीडिया से जुड़े एक कार्यक्रम में पता चला कि 5 बोरवेल्स के लिए प्रस्ताव रखा गया है। बोरवेल्स के स्थान पर अगर सीधे पानी की टंकी ही बना देते तो समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती। 2 वर्ष पहले भी एन.टी.पी.सी. के एक कार्यक्रम में इस बात को सामने रखा गया था लेकिन धन्य है प्रबंधन।

इनसे भले तो रमेश सिप्पी थे जिन्होंने बिना बिजली के खम्बे-बिना बिजली के गांव में पानी की टंकी बनाकर “शोले” को ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।

यहां पर एन.टी.पी.सी. प्रबंधन के पास खम्भे-टॉवर नहीं बल्कि अविराम गाढ़ा धुंवा उगलती चिमनियों की लंबी कतारें हैं लेकिन स्थापना काल के लगभग 40 बरस बाद भी एक पानी की टंकी के लिए एक प्रस्ताव तक नही रखा गया है।

दुनिया : PM मोदी के मोलभाव पर वैश्विक ठप्पा

भारत के बड़े शहरों में बड़े-बड़े मॉल खुले और उनमें से अधिकांश बंद भी हुए, कारण ग्राहकों को मोलभाव का सुख वहां पर नहीं मिलता। जब तक दुकानदार पसीने-पसीने न हो जाए, तब तक खरीदी का मजा ही नहीं आता है, मोलभाव का अलग ही आनंद है।

परंतु हमारी इसमें विशेषज्ञता पर अमेरिका-रूस सहित विश्व समुदाय ने भी ठप्पा लगा दिया है। कभी भारत रूस से बंधा हुआ था और फिर अमरीका से भी, पर मोदी सरकार दुनिया भर में जहां से सस्ता और अच्छा सामान मिलता है, ठोक बजाकर वहां से ही लेती है।

नीति

दुश्मनो से दुश्मनी जमकर होनी चाहिए और जब कलेजे में दम न हो और नीति का ज्ञान न हो तो इस तरह के आदर्श  ( ??? ) वाक्यो का सहारा लेना चाहिए..

वास्तव में एक गाल पर खाने  के बाद क्या होना चाहिए..इसके बाद दोनों हाथों से लगा देना चाहिए दोनों गाल पर…

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